हालिया घटनाओं से गुट के अंदर उल्लेखनीय मतभेद समाप्त हो सकते हैं, जिससे चरमपंथी समूह के नए नेता मजबूत होंगे- जंग में भी और शांति काल में भी।पूर्वी क्षेत्र में अमेरिका-अफगानिस्तान के इस्लामिक स्टेट पर हवाई हमलों से तालिबान को उल्लेखनीय रूप से फायदा हुआ है और इससे मंसूर को अंदरूनी विरोध को दबाने का मौका मिल गया।अमेरिकी-अफगानी सेनाओं के हवाई हमलों ने इस्लामिक स्टेट की बढ़त को पीछे धकेला तो मंसूर ने दक्षिण में मुल्ला मोहम्मद रसूल के नेतृत्व में अलग हो रहे मुख्य गुट को कुचल दिया।कहा जा रहा था कि मार्च में पश्चिमी अफगानिस्तान के अपने प्रमुख गढ़ शिंदांद पर हमले के बाद वहां से भागे रसूल को पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन तालिबान मीड़िया ने उनकी गिरफ्तारी, समूह के पाकिस्तान के हथियार की छवि और पाकिस्तान की विद्रोही नेताओं और धड़ों को अपने हिसाब से इस्तेमाल करने की क्षमता की खबरों को दबाकर रखा।
मंसूर को तालिबान पर नजर रखने वाले अक्सर पाकिस्तान की पसंद के रूप में देखते हैं। 12 अप्रैल को वेबसाइट ने लिखा कि ‘अलग हुए धड़े के नजदीकी लोग भी पाकिस्तान में मुल्ला रसूल की गिरफ्तारी से इनकार कर रहे हैं।’इसने आरोप लगाया कि मुल्ला रसूल के सहायक और प्रवक्ता मुल्ला मनान नियाजी ‘काबुल में अफगान गुप्तचर सेवा एनड़ीएस के गेस्ट हाउस में रहते हैं और नियमित रूप से सरकारी अधिकारियों से मिलते हैं।’ इसके अलावा यह भी दावा किया गया कि शिंदांद की जंग में ‘सरकार के पक्ष में जाने के बाद’ घायल हो गए रसूल के मुख्य कमांड़र मुल्ला नन्ग्यालाइ का काबुल में इलाज चल रहा है।