ताइवान के साथ जारी तनाव को देखते हुए चीन ने दक्षिण-पूर्वी तट में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की उपस्थिति को बढ़ा दिया है। रक्षा पर्यवेक्षकों के हवाले से साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने कहा है कि ताइवान के संभावित सैन्य आक्रमण के लिए चीन पूरी तरह से तैयार है। बता दें कि हाल के वर्षों में चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास को भी बढ़ा दिया है।
सूत्रों के अनुसार, बीजिंग अपने पुराने डीएफ-11s और डीएफ-15s की जगह इस क्षेत्र में अपनी सबसे उन्नत हाइपरसोनिक मिसाइल डीएफ-17 तैनात कर रहा है। डीएफ-17 हाइपरसोनिक मिसाइल से धीरे-धीरे पुराने डीएफ-11s और डीएफ-15s को बदल देगी जो दशकों से दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में तैनात थे। यह नई मिसाइल की एक लंबी रेंज है और लक्ष्य को अधिक सटीक रूप से हिट करने में सक्षम है।
भले ही ताइवान को चीन की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा कभी भी नियंत्रित नहीं किया गया है, लेकिन चीन पूरी तरह से ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। दूसरी तरफ ताइवान में एक चुनी हुई सरकार है जो अपने आपको एक आजाद देश के तौर पर देखती है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग यह कहते हुए सैन्य बल के जरिए ताइवान पर शासन करने से इनकार कर चुके हैं कि जबतक की इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती।
कनाडा स्थित कनवा डिफेंस रिव्यू के अनुसार, उपग्रह चित्रों से पता चलता है कि चीन ने फ़ुज़ियान और ग्वांगडोंग में मरीन कॉर्प्स और रॉकेट फोर्स बेस दोनों का विस्तार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वी और दक्षिणी थिएटर कमांड के कुछ मिसाइलों बेस का आकार भी हाल के वर्षों में दोगुना हो गया है, दिख रहा है कि पीएलए ताइवान को निशाना बनाते हुए युद्ध की तैयारी कर रहा है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, चीनी प्रांत ग्वांगडोंग में सैन्य बेस की यात्रा के दौरान मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति ने सैनिकों से युद्ध की बात दिमाग में रखकर खुद को तैयार रखने के लिए कहा था। यही नहीं चीनी राष्ट्रपति ने मरीन कॉर्प्स मुख्यालय में सैनिकों से खुद को इलीट फोर्स के रूप में विकसित करने के लिए कहा। इलीट फोर्स वह सुरक्षा बल होता है जो हर स्थिति में त्वरित जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम होता है।