देश के सात बड़े शहरों में वर्षो पहले बनने शुरू हुए दो लाख बीस हजार से अधिक फ्लैट्स अभी भी अधूरे पड़े हैं। खरीदारों को अब भी अपने आशियाने का इंतजार ही है। इनकी कुल कीमत 1.56 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। प्रॉपर्टी कंसलटेंट जेएलएल इंडिया के अनुसार इन घरों का निर्माण कार्य अभी रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा पूरा किया जाना बाकी है।
जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार करीब दो लाख बीस हजार घरों में से तीस हजार यूनिट्स को तो खत्म ही कर दिया गया है। कंपनी के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में 86,824 करोड़ रुपये मूल्य की 1.54 लाख घरों का निर्माण पूरा होने में विलंब हो रहा है। मुंबई में 56,435 करोड़ रुपये लागत वाले 43,449 घर अधूरे पड़े हैं। जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार अकेले एनसीआर और मुंबई में अधूरे पड़े घरों की संख्या 91 फीसद है।
चेन्नई में अधूरे घरों की संख्या 8,131 है, जिनकी कीमत 4,474 करोड़ रुपये है, जबकि बेंगलुरु में 2,768 करोड़ रुपये कीमत के 5,468 घर तथा पुणो में 3,718 करोड़ रुपये कीमत के 4,765 घरों का निर्माण अधूरा पड़ा है। हैदराबाद में 2,095 घरों का निर्माण अधूरा है, जिनकी कीमत करीब 1,297 करोड़ रुपये है। कोलकता में सबसे कम 384 घरों का निर्माण अधूरा है, जिनकी कीमत 288 करोड़ रुपये है।
इस वर्ष अप्रैल में प्रॉपर्टी कंसलटेंट एनारॉक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया थ कि वर्ष 2013 और उससे पूर्व इन सात शहरों में 4.5 करोड़ रुपये की कीमत से शुरू किये गए 5.60 लाख घर अपना तय डिलिवरी के समय से पीछे चल रहे हैं। घर खरीदारों को उनके अपार्टमेंट का कब्जा दिए जाने में विलंब एक मुख्य कारण हॉउसिंग क्षेत्र में मांग की कमी है। लाखों की संख्या में घर खरीदार जेपी, आम्रपाली और यूनिटेक जैसे डेवलपर्स के आवासीय परियोजनाओं में फंसे हुए हैं।