डॉक्टरों की कई सलाह विज्ञान की कसौटी पर खारिज हो चुकी हैं, भ्रमों के शिकार कई डॉक्टर भी हैं

डॉक्टर अगर कोई सलाह देता है, तो हम सब यह मानकर चलते हैं कि उसका कोई वैज्ञानिक आधार होगा। इसीलिए ऐसे सुझाव धीरे-धीरे एक व्यक्ति से दूसरे तक होते हुए लगभग पूरे समाज में फैल जाते हैं। क्या आपको पता है कि डॉक्टर से मिलने वाली कुछ सलाह भी निराधार होती हैं? आम लोगों के साथ-साथ ज्यादातर डॉक्टर भी कुछ भ्रमों को सच मानकर लोगों को उनसे जुड़ी सलाह दे देते हैं।

बच्चे को मूंगफली ना खिलाएं-

बच्चों को पीनट एलर्जी यानी मूंगफली से होने वाली एलर्जी का खतरा रहता है। इसे लेकर सलाह दी जाती है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चे को मूंगफली नहीं खिलानी चाहिए। बच्चा किस उम्र में मूंगफली खाएगा, इससे एलर्जी पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

दिल की बीमारी दूर करता है मछली का तेल-

धारणा है कि मछली का तेल दिल की बीमारियों को दूर करता है। इसमें पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड के कारण यह बात सही भी लगती है। 12,500 लोगों पर किए गए प्रयोग में यह दावा निराधार पाया गया।

हार्मोनल इलाज से ठीक होती है याददाश्त-

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि जिन लोगों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर सही होता है, उनका दिमाग बेहतर काम करता है और उनकी याददाश्त अच्छी रहती है। लेकिन इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकालना गलत है कि हार्मोनल इलाज से याददाश्त सही हो सकती है। शोध में यह दावा गलत पाया गया है।

ट्रैकर पहनने से कम होता है वजन-

लोगों में इस बात का भी भ्रम देखा गया है कि कैलोरी ट्रैकर और कदम गिनने वाले डिवाइस पहनने से वजन कम होता है। कई डॉक्टर भी इसकी सलाह देते हैं। अध्ययन में ऐसा नहीं पाया गया है। बल्कि कुछ मामलों में उलटा असर देखने को मिला है।

चूहे, कॉकरोच भगाने से अस्थमा में लाभ-

कई डॉक्टर सलाह देते हैं कि घर में चूहे और कॉकरोच को नहीं पनपने देना चाहिए। ऐसा करना अस्थमा के मरीजों के लिए अच्छा है। 2017 में एक अध्ययन में पाया गया था कि कॉकरोच आदि भगाने के लिए घर में कीटनाशक का छिड़काव करने से बच्चों को पड़ने वाले अस्थमा के दौरे पर कोई सकारात्मक असर नहीं पड़ता है।

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