पीडीपी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत जो कार्रवाई की गई उसका आधार पुलिस रिकॉर्ड में डैडीज गर्ल्स के रूप में निरूपण करना नहीं है। बल्कि 12 अन्य आधार हैं जिसके तहत कार्रवाई की गई। यह बात पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट की है। महबूबा के खिलाफ सात पेज की जो रिपोर्ट दाखिल की गई है उसमें पीएसए के तहत उनकी नजरबंदी के लिए 12 आधार बताए गए हैं। यह चालान पुलिस ने छह फरवरी को पेश किया था। उसके खिलाफ 6 फरवरी को चालान किया गया।
इस पूरी प्रक्रिया में शामिल जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि किसी भी व्यक्ति पर पीएसए की कार्रवाई के लिए पुलिस, जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत करती है फिर मजिस्ट्रेट कार्रवाई का आधार तय करता है।
पीएसए की धारा 13 का हवाला देते हुएए अधिकारियों ने कहा कि जब किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है, तो संबंधित अधिकारी को कार्रवाई का आधार पेश करना होता है। पुलिस ने अपने दस्तावेजों में महबूबा के खिलाफ कार्रवाई के लिए उन्हें खतरनाक, डैडीज गर्ल और कोटा रानी के रूप में निरूपित किया था।
दरअसल मध्ययुगीन इतिहास में कोटा रानी को अपने विरोधियों को जहर देने से लेकर कपटपूर्ण तरीके से सत्ता में बने रहने का उल्लेख है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि जिला मजिस्ट्रेट ने इसे पीएसए की कार्रवाई का आधार नहीं बनाया है। पीएसए का जो अंतिम आदेश जारी किया गया उसमें इसे आधार नहीं बनाया गया।
दस्तावेजों के अनुसार, राजनीतिक पार्टी के रूप में पीडीपी के गठन पर भी कोई टिप्पणी नहीं है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने पुलिस डोजियर में इन शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए माफी मांगी है। अधिकारियों ने कहा कि यह पता लगाने के लिए एक जांच चल रही है कि जिस दस्तावेज में इन बातों का उल्लेख किया गया वह सार्वजनिक कैसे हो गए।
जिस आधार पीएसए की कार्रवाई की गई उसमें पिछले 10 वर्षों के दौरान महबूबा द्वारा सार्वजनिक दिए गए भाषणों को आधार बनाया गया। महबूबा ने जमकर भडकाऊ भाषण दिए हैं, आतंकियों का महिमा मंडन किया, उनके भाषणों ने समाज के एक वर्ग में भय पैदा किए।
आदेश में पिछले साल 5 अगस्त को उनके ट्वीट का भी हवाला दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 का खत्म किया जाना भारत के साथ जम्मू-कश्मीर का विलय भी स्वत: खत्म हो गया। क्योंकि भारत के साथ विलय का आधार ही अनुच्छेद 370 था।