वाणिज्य मंत्रालय की शाखा डीजीएफटी (Directorate General of Foreign Trade) ने 13 मई के प्रतिबंध के आदेश के बाद वैध साख पत्र वाले निर्यातकों (Exporters with valid letter of credit) को करीब 16 लाख टन गेहूं के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC) जारी किया है। सरकार गेहूं के शिपमेंट की अनुमति दे रही है, जिसके लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एल / सी) 13 मई को या उससे पहले जारी किए गए थे, जब बढ़ती कीमतों को रोकने के उद्देश्य से खाद्यान्न के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने वैश्विक बाजारों में गेहूं के प्रवाह को बुरी तरह प्रभावित किया है, क्योंकि वे इस क्षेत्र के प्रमुख खिलाड़ी हैं। रूस और यूक्रेन मिलकर वैश्विक गेहूं आपूर्ति का लगभग एक चौथाई हिस्सा बनाते हैं। वैध L/Cs (Letter of Credit) वाले निर्यातकों को अपनी खेप भेजने के लिए अनुबंधों (आरसी) का पंजीकरण प्राप्त करने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ पंजीकरण कराना होगा।
लगभग 16 लाख टन के लिए आरसी जारी
अधिकारी ने कहा कि अब तक लगभग 16 लाख टन के लिए आरसी जारी किए जा चुके हैं। रूस ने तुर्की के माध्यम से गेहूं का निर्यात शुरू कर दिया है, जिससे वैश्विक बाजारों में कीमतें स्थिर हो सकती हैं। विदेशों से भारतीय गेहूं की बेहतर मांग के कारण 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात 70 लाख टन था, जिसका मूल्य 2.05 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
भारतीय गेहूं के टॉप-10 आयातक देशों के नाम
पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत शिपमेंट बांग्लादेश को निर्यात किया गया था। 2020-21 में भारतीय गेहूं के लिए टॉप-10 आयात करने वाले देश बांग्लादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, यमन, अफगानिस्तान, कतर, इंडोनेशिया, ओमान और मलेशिया थे। विश्व के गेहूं निर्यात में भारत का योगदान 1 प्रतिशत से भी कम है। यह गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
भारत में प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य
इसने 2020 में दुनिया के कुल उत्पादन में लगभग 14 प्रतिशत का योगदान दिया था। भारत सालाना लगभग 107.59 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन करता है, जबकि इसका एक बड़ा हिस्सा घरेलू खपत में जाता है। भारत में प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गुजरात हैं।