डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को सभी तरह के डेबिट और प्रीपेड कार्ड पर व्यापारी छूट दर (MDR) को लेनदेन मूल्य के मुकाबले 0.6 फीसद तक सीमित करने की जरूरत है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई द्वारा किए गए एक अध्ययन में सुझाव दिया गया कि एमडीआर के लिए 0.6 फीसद की निर्धारित दर पर ऊपरी सीमा 150 रुपये तय की जानी चाहिए। 
अध्ययन में कहा गया, ‘डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए पीओएस आधारित भुगतान स्वीकार करने वाले छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए, जहां वार्षिक कारोबार दो करोड़ रुपये तक है, वहां 2,000 रुपये तक के लेनदेन के लिए एमडीआर सीमा 0.25 फीसद तक की जा सकती है, जबकि 2,000 से अधिक के लेनदेन के लिए यह सीमा 0.6 फीसद तक हो सकती है।’
इस समय 20 लाख रुपये या अधिक के वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों के लिए डेबिट कार्ड एमडीआर की सीमा लेनदेन मूल्य का 0.9 फीसद है, जो अधिकतम 1,000 रुपये तक हो सकती है। रिपोर्ट में डिजिटल लेनदेन के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए पीओएस मशीनों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को हटाने की सिफारिश भी की गई है।
रिपोर्ट में महंगे क्रेडिट या डेबिट कार्ड के इस्तेमाल से जुड़ी कमियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि आरबीआई को भारत क्यूआर को सावधानी से बढ़ावा देने की जरूरत है। इसमें कहा गया है कि भीम-यूपीआई क्यूआर को स्टैटिक भारत क्यूआर से अलग करके क्यूआर कोड को लेकर उठा सकने वाली नकारात्मक भावनाओं को कम किया जा सकता है।
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