ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जिन्हें दूध पीना पसंद नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छी सेहत के लिए रोजाना कम से कम एक गिलास दूध तो जरूर पीना चाहिए। अगर दूध में हल्दी मिलाकर पिया जाए, तो यह और भी फायदेमंद हो सकता है। आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध को औषधि के रूप में माना गया है। इससे इम्यूनिटी बढ़ाने में तो मदद मिलती ही है, साथ ही हल्दी वाला दूध हड्डियों से जुड़ी बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों को भी काफी राहत देता है। नियमित रूप से इसके सेवन से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है और हड्डियों को मजबूती भी मिलती है। इसके अलावा एक और चीज है, जिसे दूध में मिलाकर पिया जाए तो यह डायबिटीज के मरीजों को राहत दिला सकता है। हम बात कर रहे हैं दालचीनी वाले दूध की।
दालचीनी वाला दूध डायबिटीज के मरीजों के लिए शुगर लेवल यानी शर्करा का स्तर नियंत्रण में रखने का एक आसान घरेलू उपाय है। इसपर कई शोध भी हो चुके हैं, जिसमें यह पाया गया है कि दालचीनी वाला दूध शुगर नियंत्रित में मददगार है।
दालचीनी का इस्तेमाल सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं किया जाता है, बल्कि यह एक उपयोगी औषधि है। इसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और विटामिन तो प्रचुर मात्रा में पाए ही जाते हैं, साथ ही इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद मिलती है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि दालचीनी वाले दूध का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों का शुगर लेवल नहीं बढ़ेगा और इम्यूनिटी को भी मजबूती मिलेगी। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप सिर्फ इसे घरेलू उपाय के भरोसे ही बैठ जाएं और इलाज न कराएं। यह जरूरी है कि आप अपनी दवाइयां भी समय-समय पर लेते रहें।
दालचीनी वाले दूध के अन्य फायदे
जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है, उनके लिए दालचीनी वाला दूध फायदेमंद हो सकता है। ऐसे लोग रात को सोने से पहले इसका सेवन करें। इसके अलावा यह खास दूध पाचन को भी बेहतर बनाता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में भी असरदार है।
नोट: डॉ. राजन गांधी अत्यधिक योग्य और अनुभवी जनरल फिजिशियन हैं। इन्होंने कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से अपना एमबीबीएस पूरा किया है। इसके बाद इन्होंने सीएच में डिप्लोमा पूरा किया। फिलहाल यह उजाला सिग्नस कुलवंती अस्पताल, कानपुर में मेडिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन के तौर पर काम कर रहे हैं। यह आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के आजीवन सदस्य भी हैं। डॉ. राजन गांधी को इस क्षेत्र में 25 साल का अनुभव है।
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