डसाल्ट एविएशन साल 2019 से भारत को राफेल फाइटर जेट्स की डिलीवरी करना शुरू कर देगा। आने वाले कुछ महीनों में नए विमानों के लिए ऑर्डर दिए जा सकते हैं। भारत ने डसाल्ट एविएशन के साथ साल 2016 में 36 विमानों की खरीद का सौदा किया था। यह जानकारी कंपनी के सीईओ एरिक ट्रेपियर ने ऑरलैंडो में सोमवार को दी।
विश्व के सबसे बड़े बिजनेस जेट के शो के दौरान ऑरलैंडो में ट्रेपियर ने राफेल पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि साल 2018 डसाल्ट 40 बिजनेस जेट्स भी डिलीवर कर सकता है। ट्रेपियर ने कहा कि कंपनी साल 2020 में कुछ चुनिंदा मॉडल के उत्पादन को बढ़ाएगा।
ट्रेपियर ने कहा था कि अनिल अंबानी की कंपनी के राफेल में केवल 10 फीसद ऑफसेट निवेश हैं। सीईओ के मुताबिक, कंपनी 100 भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है। फ्रांस की वेबसाइट मीडियापार्ट ने यह स्टेटमेंट छापा था। वेबसाइट पर डसॉल्ट मैनजेमेंट और इसके कर्मियों के प्रतिनिधियों के बीच के हुई एक मीटिंग के नोट्स का हवाला दिया गया है.
ट्रेपियर ने साफ कहा कि रिलायंस के साथ डसाल्ट एविएशन का संयुक्त उपक्रम राफेल लड़ाकू विमान करार के तहत करीब 10 फीसद ऑफसेट निवेश का प्रतिनिधित्व करता है। ट्रेपियर ने कहा था कि हम करीब 100 भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं, जिनमें करीब 30 कंपनियों के साथ पहले ही साझेदारी की पुष्टि कर दी है।
बताते चलें कि राफेल विमान में सौदेबाजी को लेकर कांग्रेस पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। फिलहाल यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। कोर्ट ने राफेल डील पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से कहा था कि वह विमान की कीमतों और तकनीक से जुड़ी जानकारी भले ही सार्वजनिक न करें, लेकिन डील की प्रक्रिया के बारे में कोर्ट को जानकारी दें।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 29 अक्टूबर तक का समय दिया है और इस पूरी जानकारी को बंद लिफाफे में देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।
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