मैम, हम लोग शौचालय के साथ ही खुद ही भोजन बनाते हैं। बुखार व संक्रमण के बावजूद हम लोगों के एक साथ एक हाल में ठूंसकर रखा जाता है। परिवारीजन से मिलने तक नहीं दिया जाता है। विरोध पर धमकी दी जाती हैं। कुछ ऐसी आपबीती जब गोमतीनगर के मनीषा मंदिर में रहने वाली बालिकाओं ने बताया तो न्यायालय बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। शुक्रवार को अवकाश के कारण इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। अगले दिन गोमतीनगर पुलिस के सहयोग से अधिकारियों ने सभी 14 बालिकाओं को छुड़ाया गया और फिर उन्हें राजकीय बालगृह शिशु व बालिका में भेज दिया गया।
ये है पूरा मामला
बाल कल्याण समिति की सदस्य डॉ संगीता शर्मा ने बताया कि 20 सितंबर को मनीषा मंदिर का औचक निरीक्षण किया गया और रहने वाली सभी 14 बालिकाओं से बातचीत की गई तो उन्होंने शौचालय की सफाई करने, खुद खाना बनाने व संक्रमित बीमारियों का इलाज न कराने समेत कई आरोप लगाए। जिला बाल सरंक्षण इकाई की आसमा जुबैर की मौजूदगी में शनिवार को शाम करीब चार बजे पुलिस और न्यायालय बाल कल्याण समिति के सदस्यों के साथ छापेमारी की गई। मंदिर के संस्थापिका डॉ.सरोजिनी अग्रवाल ने छापेमारी का विरोध किया, इसके बावजूद सभी 14 बालिकाओं को छुड़ा लिया गया। आठ बालिकाओं को प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह (शिशु) और छह बालिकाओं को राजकीय बालगृह (बालिका) मोतीनगर में स्थानांतरित किया गया है। छापेमारी में नीलिमा, संदीप, कुलदीप व सुधा समेत कई पदाधिकारी मौजूद थे।