
हालांकि आयकर विभाग को 2015 में ही रजिस्ट्रेशन रद्द कर देना चाहिए था, लेकिन तब उसने नहीं किया था। इस देरी के लिए हम कानूनी विकल्प लेंगे, क्योंकि रद्दीकरण अब प्रभावी हुआ है। इस पर आयकर विभाग ने बीते दिनों इन ट्रस्ट के फिर से मूल्यांकन का फैसला किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि आयकर विभाग ने कहा है कि वो पिछले चार सालों की देनदारी चुकाने के लिए टाटा समूह के सभी ट्रस्टों को डिमांड नोटिस भेजेगा। यह बकाया राशि कई करोड़ों रुपये में है।
इस साल जुलाई में आयकर विभाग ने सभी ट्रस्टों को नोटिस भेजकर असेसमेंट करने की बात कही थी और 2015 में रजिस्ट्रेशन सरेंडर करने पर भी सवाल उठाए हैं। टाटा घराने के न्यासों ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि पंजीयन लौटाने का निर्णय परमार्थ कार्यों के लिये उपलब्ध संसाधनों को बढ़ाने को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
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