Jharkhand Election Result 2019 झारखंड की नई सरकार में मंत्री पद पाने के लिए दिग्गजों की गणेश परिक्रमा शुरू हो गई है। हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में जगह बनाने के लिए बुधवार को कवायद तेज रही। उनकी कैबिनेट में झारखंड मुक्ति मोर्चा कोटे से पांच, कांग्रेस से पांच और राजद से एक मंत्री के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इसे लेकर सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार भी गर्म रहा। कांग्रेस पार्टी की ओर से हेमंत सरकार में मंत्री पद को लेकर आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव, राजेंद्र प्रसाद सिंह, बन्ना गुप्ता आदि का नाम लिया जा रहा है। इसके अलावा कांग्रेस के अन्य विधायकों ने भी अपने संपर्क सूत्रों को खंगाला है। झारखंड मुक्ति मोर्चा का शीर्ष नेतृत्व अपेक्षाकृत युवा विधायकों को मंत्री पद की जिम्मेदारी देने के पक्ष में है। ऐसे में इस बार विधायक चुने गए नौजवान विधायकों ने भी अपने-अपने तरीके से लॉबिंग शुरू कर दी है।
संभावित हेमंत मंत्रिमंडल
जेएमएम – मुख्यमंत्री +पांच मंत्री (स्टीफन मरांडी, चंपई सोरेन, हाजी हुसैन अंसारी तय) जोबा मांझी ,दीपक बिरुआ और मथुरा महतो में से कोई दो
कांग्रेस– स्पीकर+ चार मंत्री (राजेंद्र सिंह, आलमगीर आलम, इरफान अंसारी तय) चौथे में कोई महिला (दीपिका पांडेय सिंह, ममता देवी या अंबा प्रसाद)
जेवीएम– एक मंत्री
आरजेडी – एक मंत्री या बोर्ड-निगम
आलमगीर आलम कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए हैं, लिहाजा रामेश्वर उरांव का स्पीकर बनना लगभग तय
आरपीएन की होगी बड़ी भूमिका, राहुल गांधी लेंगे अंतिम निर्णय
झामुमो के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में मंत्रालय को लेकर अभी से लॉबिंग शुरू हो चुकी है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी से लेकर राहुल गांधी के प्रिय लोगों तक विधायकों का पहुंचना शुरू हो गया है और इसके साथ ही नए विधायकों के लिए सक्रिय लोगों ने काम भी करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस अब तक के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर भले ही आलाकमान के सामने दुविधा की स्थिति पेश कर रहा हो लेकिन पहली बार बने विधायकों को देख लें तो मंत्री चुनने में पार्टी के सामने कहीं परेशानी ही नहीं है। पार्टी के 16 विधायकों में से आठ तो पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं और इनमें से भी कई के लिए यह पहला चुनाव भी था। सो, ऐसे विधायक दबाव बनाने की स्थिति में नहीं हैं। इसके अलावा लॉबिंग उन्हीं की ओर से हो रहा है जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं।
अनुभवी विधायकों से कहीं अधिक पहली बार जीतने वाले, पार्टी के शीर्ष नेताओं का सिरदर्द कम
अनुभवी विधायकों और मंत्री रह चुके लोगों में आलमगीर आलम, राजेंद्र सिंह, बन्ना गुप्ता आदि के नाम पहली पंक्ति में लिए जा रहे हैं। इनके अलावा सीनियर और अनुभवी नेताओं में रामेश्वर उरांव, रामचंद्र सिंह व उमाशंकर अकेला का नाम सामने है लेकिन इनमें दो तो अभी हाल में ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं और उनकी दावेदारी मजबूत नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए रामेश्वर उरांव अगर मंत्री बनने अथवा विधानसभा अध्यक्ष बनने के लिए हामी भरते हैं तो नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू कर दी जाएगी हालांकि कांग्रेस इसके लिए फिलहाल तैयार नहीं दिख रही।
कांग्रेस में सर्वाधिक चार महिला विधायक, किस्मत से मिलेगा मौका
इसके अलावा चार महिला विधायकों में से भी किसी एक को मंत्रिमंडल में स्थन देने की बात कही जा रही है। इसमें अंबा प्रसाद और ममता देवी का नाम राज्य स्तर के नेता ले रहे हैं जबकि दीपिका सिंह पांडेय के बारे में बताया जा रहा है कि उन्होंने खुद ही राहुल लॉबी के सामने अपनी पकड़ बना ली है। ऐसे में भी उन्हें टिकट भी इसी आधार पर दिया गया था। पूर्णिमा नीरज सिंह को भी कई लोग मंत्री का दावेदार बता रहे हैं लेकिन राजेंद्र सिंह अथवा उनमें से कोई एक ही मंत्रिमंडल के लिए पसंद किया जाएगा। एक बिरादरी से दो लोगों को लेने से कांग्रेस बचना चाह रही है। अब चार महिला विधायकों में से किसी एक को किस्मत से ही मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी।
पहली बार विधायक बननेवाले कांग्रेसी
- रामेश्वर उरांव
- अंबा प्रसाद
- पूर्णिमा नीरज सिंह
- ममता देवी
- दीपिका पांडेय सिंह
- सोनाराम सिंकू
- राजेश कच्छप
- भूषण बाड़ा
हेमंत सोरेन की ताजपोशी 29 को, 50 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। समारोह मोरहाबादी मैदान में होगा। इस मौके पर कई दिग्गज राजनेताओं के मौजूद रहने की संभावना है। मंगलवार को हेमंत सोरेन ने 50 विधायकों का समर्थन पत्र राजभवन जाकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को सौंपा। इस मौके पर उनके साथ विधायकों के अलावा झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन, कांग्रेस पर्यवेक्षक टीएन सिंहदेव, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह, सह प्रभारी उमंग सिंघार, कांग्रेस नेता अजय शर्मा भी मौजूद थे।
मोरहाबादी में होगा शपथ ग्रहण समारोह, कई दिग्गज राजनेता रहेंगे मौजूद
इससे पहले उनके नेतृत्व वाली नई सरकार के गठन की औपचारिकता पूरा करने को लेकर मंगलवार को कवायद चरम पर रही। सुबह से ही इस बाबत गतिविधियां तेज हो गई। झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक दल की बैठक में हेमंत सोरेन को विधिवत नेता चुनने की घोषणा की गई। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के आवास पर हुई बैठक में दल के सारे 30 विधायक मौजूद थे। इसके बाद शाम पांच बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक आलाकमान द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक टीएस सिंहदेव की मौजूदगी में हुई। इस बैठक में आलमगीर आलम सर्वसम्मति से कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए।
शिबू, आरपीएन, तेजस्वी समेत अन्य नेताओं के साथ हेमंत सोरेन पहुंचे राजभवन
शाम सात बजे झामुमो, कांग्रेस और राजद के सारे विधायकों ने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के आवास का रूख किया। यहां विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक में उन्होंने उपस्थिति दर्ज कराई। बैठक में निर्णय किया गया कि राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाए। बैठक के बाद हेमंत सोरेन विधायकों के साथ राजभवन की ओर रवाना हुए जहां उन्होंने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।
झाविमो का एलान, हेमंत के एक-एक निर्णय पर साथ खड़ी रहेगी पूरी पार्टी
राज्य के भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार अपना कुनबा बढ़ाने में जुटे हैैं। इसी क्रम में मंगलवार को वे झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी के आवास पर पहुंचे और हाथ जोड़कर आशीर्वाद मांगा। बाबूलाल मरांडी ने भी खुले मन से उन्हें अपनाते हुए कहा कि राज्य की सेवा करने का जनादेश आपको मिला है। दरअसल चुनाव से पूर्व बाबूलाल मरांडी ने विपक्षी गठबंधन में शामिल होने से इन्कार कर दिया था। इस मुलाकात के तुरंत बाद झाविमो ने आधिकारिक तौर पर एलान किया कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनने वाली सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया जाएगा। पूरी पार्टी हेमंत सोरेन के एक-एक निर्णय पर साथ खड़ा रहेगी।
विपक्षी गठबंधन के विधायकों की संयुक्त बैठक शिबू सोरेन आवास पर
पोड़ैयाहाट से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए प्रदीप यादव ने उक्त बातें कहीं। वे मंगलवार की शाम डिबडीह स्थित झाविमो के केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों से मुखातिब थे। इससे पूर्व बाबूलाल मरांडी की अध्यक्षता में झाविमो विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें प्रदीप यादव एक बार फिर विधायक दल के नेता चुने गए। मांडर के नवनिर्वाचित विधायक बंधु तिर्की भी इस मौके पर मौजूद थे। प्रदीप यादव ने कहा कि जनता बदलाव चाहती थी, महागठबंधन को मिली बहुमत इसकी बानगी है।
झाविमो चुनावी महासमर में सभी 81 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा और तीन सीटों पर जीत हासिल की। उन्होंने कहा कि झारखंड के सर्वांगीण विकास को लेकर महागठबंधन और झाविमो की सोच एक समान है। चाहे मसला जल, जंगल और जमीन का हो अथवा आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के हितों की बात हो, महागठबंधन और झाविमो मिलकर संघर्ष करता आया है। लिहाजा झाविमो ने हेमंत सरकार को बिना शर्त समर्थन देने का निर्णय लिया है। राज्य गठन के 19 वर्षों में विकास के मोर्चे पर जो काम बाकी रह गया है, यह सरकार पूरे करेगी।