झाबुआ की मोटी आई माॅडल की गूंज दिल्ली तक, पीएम मोदी करेंगे कलेक्टर नेहा मीणा को सम्मानित

आदिवासी जिले झाबुआ में कुपोषण से निपटने के लिए कलेक्टर नेहा मीणा द्वारा की गए प्रयासों को काफी सराहा जा रहा है। इस काम के लिए उन्होंने 21 अप्रैल को नई दिल्ली में पीएम एक्सीलेंस अवार्ड मिलेगा। नेहा ने इस अभियान के जरिए बच्चों को कुपोषण से बचाया। वैक्सीनेशन, गर्भवतियों की जांचे, लड़कियों की शिक्षा और कुपोषण हटाने के प्रयासों के अलावा मोटी आई माॅडल सरकार को भी पसंद आया है और उसे अब दूसरे जिलों में भी अपनाया जाएगा।

मोटी आई का मतलब होता है, बड़ी मां। आदिवासी परिवार अपने रीति-रिवाजों, गांव के बड़े बुर्जुगों का बड़ा सम्मान करते है, इसलिए नेहा ने इस अभियान को देसी अंदाज में ढाला। भीली भाषा में लोक गीत बनाए, गांवों-फलियों तक अभियान की खूबियां बताई और पोषण आहर का बढ़ावा देने के लिए उन्होंने गांव में अनुभवी महिलाअेां की मदद ली। उन्हें प्रशिक्षित किया। हर गांव में तैयार हुई मोटी आई बच्चों को कुपोषण से दूर रखने में पूरी मदद करती है और मोटी आई कुपोषित बच्चों की माॅलिश भी करती है। जिले में तैयार हुई 1325 मोटी आई ने एक हजार से ज्यादा बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला। कुपोषण से निकल कर बच्चे सामान्य श्रेणी में आ चुके है। दरअसल जिले में कई परिवार यह समझ ही नहीं पाते थे कि उनका बच्चा कुपोषित हो चुका है।

कुपोषित बच्चों का डेटा भी कलेक्टर नेहा मीणा ने एकत्र किया और यह पाया कि रोजगार की तलाश में जो परिवार बाहर जाते है। उनके बच्चे ज्यादा कुपोषित है। वे अपने बच्चे को दादा-दादियों के पास रख देते है। वे उनका ठीक से ध्यान नहीं रख पाते है, इस कारण बच्चे कुपोषित हो जाते है। सबसे पहले पलायन करने वाले परिवारों को जिले में चिन्हित किया गया और उनके बच्चों की देखभाल का जिम्मा मोटी आई को दिया गया और बच्चों का कुपोषण दूर कर उन्हें सामान्य श्रेणी में लाया गया। कलेक्टर नेहा मीणा कहती है कि बच्चों को स्वस्थ्य देकर सुकून मिलता है। अब गांव में इसे लेकर जागृति आ चुकी है।

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