झगड़ो से जूझ रही टीम इंडिया को क्यों मिली करारी हार, जानिए पांच वजह

रोहित शर्मा के चयन को लेकर चल रहे विवाद से जूझ रही भारतीय टीम का ऑस्ट्रेलिया में बुरा हश्र होना ही था लेकिन यह इतना खराब होगा किसी को नहीं पता था। हमेशा से टीम चयन और अंतिम एकादश चयन में मनमर्जी चलाकर टीम को नुकसान पहुंचाने वाले कप्तान विराट कोहली शुक्रवार को सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ पांच गेंदबाजों के साथ उतरे और इसका फायदा उठाते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम ने ऐसी ठुकाई की जो 374 रनों पर जाकर रुकी। इतने रन बनने के बाद भारत की हार लगभग तय हो गई थी। वह तो भला हो हार्दिक पांड्या (90) और शिखर धवन (74) का जिन्होंने भयावह हार को सम्मानजनक हार में बदल दिया। पहले ही मैच में मिली 66 रनों की हार ने भारत की आगे की लड़ाई को और कठिन कर दिया है। भारत को ऑस्ट्रेलिया में अभी दो वनडे, तीन टी-20 और चार टेस्ट खेलने हैं।

गेंदबाजी के सीमित विकल्प

ऐसा नहीं है कि वनडे में कोई बड़ी साझेदारी इस मैच में पहली बार बनी थी पहले भी ऐसी साझेदारी होती थी, लेकिन तब सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना, युवराज सिंह, केदार जाधव और हार्दिक पांड्या जैसे ऑलराउंडर छठे या सातवें गेंदबाज के तौर पर उसे तोड़ने का काम करते थे। पांड्या पहले वनडे में खेल जरूर रहे थे लेकिन यह पहले से ही तय था कि वह गेंदबाजी नहीं करेंगे क्योंकि वह अभी उसके लिए फिट नहीं हैं। 50 ओवर में भारत सिर्फ पांच गेंदबाज के साथ उतरा जिसने ऑस्ट्रेलिया की रणनीति को और मजबूत कर दिया।

डेविड वार्नर (69) और आरोन फिंच (114) की जोड़ी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के दो खतरनाक तेज गेंदबाजों मुहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह को आराम से खेलकर साझेदारी बढ़ाई और तीसरे तेज गेंदबाज नवदीप सैनी को निशाना बनाया। उन्हें पता था कि एक बार शमी और बुमराह को बिना विकेट गंवाए खेल लिया तो बाकी के तीन गेंदबाजों को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है क्योंकि भारत के पास इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।

वह तो भला हो कि किसी गेंदबाज को चोट नहीं लगी वर्ना बाकी के ओवर फेंकने के लिए विराट कोहली को उतरना पड़ता। विराट ने इससे पहले क्रुणाल पांड्या, विजय शंकर और शिवम दुबे जैसे ऑलराउंडरों को परखा है लेकिन वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। इस टीम में मयंक अग्रवाल (22), विराट कोहली (21), धवन और श्रेयस अय्यर (02) में से कोई गेंदबाजी नहीं कर सकता है। विराट ने तो काफी समय पहले गेंदबाजी छोड़ दी थी।

आइपीएल की खुमारी ऑस्ट्रेलिया में उतारी

आइपीएल में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सके आरोन फिंच और स्टीव स्मिथ (105) ने ऑस्ट्रेलिया पहुंचते ही ऐसा फॉर्म दिखाया कि उन्हें संयुक्त अरब अमीरात में परेशान करने वाले बुमराह, शमी और जडेजा सिडनी में खुद हक्का-बक्का रह गए। वार्नर तो आइपीएल में भी फॉर्म में थे और उन्होंने यहां भी अपनी टीम को बेहतर शुरुआत दिलाई। आइपीएल में सुपर फ्लॉप रहे ग्लेन मैक्सवेल (45) ने भी कम गेंद पर ताबड़तोड़ पारी खेली।

खराब क्षेत्ररक्षण, फिर कैसे मिलेगी जीत

इसके अलावा भारत का क्षेत्ररक्षण कोढ़ में खाज साबित हुआ। टीम ने कैच छोड़ने के साथ खराब फील्डिंग की जिससे भारतीय गेंदबाजों को बचा-खुचा मनोबल भी टूट गया। वहीं ऑस्ट्रेलिया ने अपने मनपसंद मैदान में शानदार क्षेत्ररक्षण किया। धवन ने स्मिथ का कैच छोड़ा तब वह 42 रन पर थे। चहल ने फिंच का कैच छोड़ा तो वह 104 रन पर थे।

हार्दिक-धवन ने दिखाई उम्मीद

विशालकाय लक्ष्य का पीछा करते हुए मयंक और धवन ने भारत को अच्छी शुरुआत तो दिलाई, लेकिन जोश हेजलवुड की बाउंसरों ने खासा परेशान किया। पहले हेजलवुड ने मयंक को पवेलियन भेजकर 53 रन की साझेदारी को तोड़ा फिर विराट का सबसे बड़ा विकेट भी बाउंसर पर ही दिलाया। इसी ओवर में श्रेयस जब तक बाउंसर से बचते गेंद उनके बल्ले से लगकर हवा में उछलकर विकेटकीपर एलेक्स कैरी के दस्ताने में चली गई। केएल राहुल (12) जब आउट हुए, तब भारत की हार तय लगने लगी लेकिन हार्दिक ने दिलेरी दिखाई और दूसरे छोर पर खड़े धवन का भी इससे आत्मविश्वास बढ़ा। दोनों ने पांचवें विकेट के लिए 128 रन की अहम साझेदारी की, लेकिन दोनों ही बल्लेबाज लेग स्पिनर एडम जांपा को हल्का शिकार समझने की भूल कर बैठे। पहले जांपा ने धवन का विकेट झटका और कुछ देर बाद हार्दिक की 76 गेंद में सात चौके और चार छक्कों से सजी खूबसूरत पारी का भी अंत कर दिया। जांपा ने कुल चार विकेट चटकाए।

विश्व कप सुपर लीग में खराब आगाज

आइसीसी ने हाल ही में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की ही तरह विश्व कप सुपर लीग की भी शुरुआत की हैं जहां शीर्ष 13 देशों को आपस में सीरीज खेलनी है। हर मैच जीतने पर टीम को 10 अंक मिलेंगे। अंक मिलने की शुरुआत इंग्लैंड बनाम पाकिस्तान सीरीज से हुई थी। सुपर लीग में भारत का यह पहला मैच था और उसे 10 अंक गंवाने पड़े। लीग में छह मैच में तीन जीतकर और तीन हारकर इंग्लैंड पहले स्थान पर है, जबकि चार में तीन मैच जीतकर और एक हारकर ऑस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर बना हुआ है।

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