हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। जबकि मुख्य अष्टमी शारदीय नवरात्रे के आंठवें दिन मनाई जाती है।
तदनुसार, ज्येष्ठ माह में मासिक दुर्गाष्टमी 30 मई यानी आज है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस अष्टमी का पुण्य-प्रताप फल अश्विन माह की अष्टमी के समतुल्य होता है।
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दिन भर है, क्योंकि अष्टमी 29 मई की रात्रि 9 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 30 मई को शाम में 7 बजकर 57 मिनट को समाप्त हो रही है। आप इस दौरान मां आदिशक्ति की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
व्रती को सप्तमी के दिन से ही तामसी भोजन का परित्याग कर देना चाहिए। साथ ही रात्रि में शयन भूमि पर करना चाहिए। इसके अगले दिन अष्टमी के दिन ब्रह्म बेला में उठकर घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए।
तदोपरांत, स्नान-ध्यान से निवृत होकर व्रत संकल्प लें। अब पूजा गृह में एक चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित कर षोडशोपचार करें।
मां दुर्गा को लाल रंग अति प्रिय है। अतः पूजा में उन्हें लाल पुष्प और लाल फल अवश्य भेंट करें। साथ ही सोलह श्रृंगार और लाल चुनरी भी चढ़ाएं। अब मां दुर्गा की पूजा धूप-दीप, दीपक आदि से करें। पूजा करते समय दुर्गा चालीसा का पाठ करें और निम्न मंत्र का जाप करें।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥
या देवी सर्वभूतेषु मां दुर्गा-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अंत में आरती आराधना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती के बाद फलाहार करें।
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