डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति की गद्दी से हट गए. मगर उनका असर लगता है, अभी भी बाकी है. ऐसा माना जा रहा था कि बाइडेन ट्रंप के मुकाबले थोड़ा सॉफ्ट और डिप्लोमैटिक तरीके से चुनौतियों से निपटेंगे. मगर सीरिया में शिया मिलिशिया के ठिकानों पर हमला कर बाइडेन ने इस गलतफहमी को तोड़ दिया है. अमेरिका ने शुक्रवार तड़के पूर्वी सीरिया के कुछ इलाकों पर ताबड़तोड़ हवाई हमले किए. जिनमें शिया मिलिशिया के कुछ लोगों के मारे जाने की खबर है.
अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन को शपथ लिए अभी 36 दिन भी नहीं हुए और आते ही उन्होंने ईरान से खुद 36 का आंकड़ा कर लिया है. और अपने राष्ट्रपति शासन काल का पहला मिलिट्री एक्शन उन्होंने सीरिया में ईरानी समर्थक मिलिशिया के अड्डों पर बम गिराकर लिया. बकौल अमेरिका उसने ये हवाई अटैक ईरानी मिलीशिया के ठिकानों पर किए हैं. अमेरिकी एयरफोर्स ने शुक्रवार तड़के सीरिया में इन हमलों को अंजाम दिया था.
ये बमबारी सीरिया के उन दो क्षेत्र या कहें अड्डों पर की गई थी जो ईरान समर्थित आतंकी गुटों के कब्जे में हैं और जहां से दो हफ्तों में दो बार इराक में अमेरिकी एयरबेस पर रॉकेट दागे गए थे. हालांकि, अब तक ये साफ नहीं हो सका है कि अमेरिकी एयर स्ट्राइक में शिया मिलिशिया को कितना नुकसान हुआ है. अमेरिका के मुताबिक इस हमले में शिया मिलिशिया के कई लोग मारे गए हैं. इसके अलावा इस हमले में उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
अमेरिका के अनुसार सीरिया में शिया मिलिशिया के अड्डे तबाह कर दिए गए हैं. बाइडेन को ट्रम्प के मुकाबले सॉफ्ट माना जा रहा था. लेकिन उन्होंने ईरान को लेकर सख्त रवैया अपनाकर ये भ्रम तोड़ दिया है. इससे पहले शिया मिलिशिया ने पिछले दो हफ्तों के दौरान दो बार इदलिब में अमेरिकी एयरबेस के करीब हमले किए थे. जिनमें एक फौजी की मौत हुई थी.
आपको बता दें कि सीरिया में ईरान समर्थित शिया मिलिशिया का अच्छा खासा दखल है. वो सीरियाई सरकार और सेना की मदद करते हैं. यहीं से इराक में मौजूद अमेरिकी फौजियों को भी निशाना बनाया जाता है. हालांकि, ईरान सरकार ने हमेशा इस तरह के हमलों में अपना हाथ न होने की बात कही है.
लेकिन अमेरिका का दावा है कि ईरान की मदद के बिना इन्हें अंजाम देना नामुमकिन है. अमेरिका और ईरान के बीच पहले ही तनाव है. ईरान अपना एटमी हथियार प्रोग्राम तेज रफ्तार से बढ़ा रहा है. अमेरिका के इस हमले के बाद ये तय माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ेगा.