जो केस DSP सीमा पाहुजा को मिलता है, उस केस में आरोपी बच नहीं पाते अब बारी है हाथरस के दरिंदो की

हाथरस कांड में अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज कर लिया है. उत्तर प्रदेश सरकार के आग्रह पर साथ ही सीबीआई ने इस मामले में जांच पड़ताल शुरू कर दी है. सीबीआई ने इस केस के लिए एक टीम गठित की है. जिसका नेतृत्व सीबीआई की पुलिस उपाधीक्षक (DSP) सीमा पाहुजा कर रही हैं. उनकी अगुवाई में सीबीआई की टीम हाथरस के चंदपा पुलिस स्टेशन पहुंच गई है.

गाज़ियाबाद की सीबीआई यूनिट के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी में डीएसपी सीमा पाहूजा की तैनाती है. वे एक तेज तर्रार छवि वाली महिला अफसर मानी जाती हैं. उन्हें ब्यूरों में सराहनीय काम के लिए पुलिस पदक समेत कई सम्मान मिल चुके हैं. कई गंभीर मामलों का खुलासा करने के लिए सीमा पाहुजा को जाना जाता है. सीबीआई में सराहनीय सेवाओं के लिए सीमा को 15 अगस्त 2014 को पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था. इससे पहले सीमा पाहुजा ने सीबीआई की स्पेशल क्राइम यूनिट-1 में कई सालों तक काम किया. उनके लिए विभाग में कहा जाता है कि जो केस डीएसपी सीमा पाहुजा को मिलता है, तो उस केस में आरोपी बच नहीं पाते. हाथरस कांड की जांच करने वाली टीम में अधिकारियों समेत लगभग 15 सदस्य शामिल हैं.

सीमा पाहुजा की साफ और ईमानदार छवि के चलते उन्हें कई ऐसे मामलों की जांच सौंपी गई, जिनमें राजनीतिक दखल की आशंका थी. लेकिन उन्होंने अपना काम बिना किसी दबाव के अंजाम दिया. यही वजह थी कि सीमा पाहुजा को हिमाचल प्रदेश के चर्चित गुड़िया मामले की गुत्थी को सुलझाने के लिए भेजा गया था. उन्होंने इस मामले में जांच कर सारे मामले को सुलझाया था.

आपको बताते चलें कि रविवार को सीबीआई ने हाथरस कांड की जांच अपने हाथ में ले ली थी. इसके बाद एक आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इस केस में हत्या, हत्या की कोशिश, गैंगरेप और एससी-एसटी एक्ट के तहत सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. इससे पहले हाथरस के चंदपा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था, जो पीड़िता के भाई ने दर्ज कराया था. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 14 सितंबर 2020 को आरोपी ने उसकी बहन को बाजरे के खेत में गला घोंटकर मारने की कोशिश की थी.

इससे पहले सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की सीबीआई जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) में भ्रष्टाचार निरोधक इकाई-6 के जिन अधिकारियों को शामिल किया गया, उनमें दो सीनियर महिला अधिकारी शामिल हैं. जिनके काम से उन्हें काबिल अफसरों के तौर पर जाना जाता है. एक हैं गगनदीप गंभीर और दूसरी हैं नूपुर प्रसाद.

वे पंजाब विश्वविद्यालय की टॉपर रही हैं. गगनदीप गंभीर 2004 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. उनका कैडर गुजरात है. गगनदीप राजकोट सहित कई जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में सेवाएं दे चुकी हैं. वो साल 2016 से सीबीआई में प्रतिनियुक्त पर हैं और कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच टीम का हिस्सा रही हैं. गंभीर ने विजय माल्या, अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला, अवैध खनन घोटाला जैसे मामलों की जांच की थी. जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी जांच के दायरे में हैं. गंभीर ने श्रीजन घोटाला और पत्रकार उपेंद्र राय के खिलाफ चल रहे मामलों की जांच भी की है.

नूपुर प्रसाद 2007 बैच के एजीएमयूटी कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं. मूल रूप से नुपूर बिहार के टिकारी के सलेमपुर गांव की रहने वाली हैं. वह दिल्ली में शाहदरा की डीसीपी भी रह चुकी हैं. उन्हें सीबीआई की सुपरकॉप के रूप में भी जाना जाता है. वे हत्या के कई मामलों और ऑनलाइन वित्तीय घोटालों की जांच कर चुकी हैं. पिछले साल नुपुर को CBI में प्रतिनियुक्त पर भेजा गया था. नुपुर भी उस टीम का हिस्सा हैं, जो अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले और विजय माल्या केस की जांच कर रही है. महिला आरोपियों से पूछताछ करने में उन्हें महारत हासिल है.

सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई-6 के नाम कई बड़े मामले हैं. जिनमें विजय माल्या, कोयला घोटाला और अगस्ता वेस्टलैंड मामले जैसे हाई प्रोफाइल मामलों की जांच कर चुकी है. इस टीम ने दुबई से अगस्ता वेस्टलैंड मामले के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित किया था.

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