जेपी कंपनी द्वारा टिपिंग फीस की मांग को एनजीटी ने किया खारिज, एमसी को दी एक माह की मोहलत

शहर का कचरा प्रोसेस करने के बदले में जेपी कंपनी द्वारा टिपिंग फीस की मांग को एनजीटी ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही एनजीटी ने नगर निगम को अधिकार दिया हैं कि वह एक माह के भीतर तय करे कि जेपी कंपनी के साथ काम करना है या नहीं। जेपी कंपनी डड्डूमाजरा का गारबेज प्लांट चला रही है। कंपनी ने एनजीटी में कचरा प्रोसेस करने के बदले में टिपिंग फीस देने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की थी।

चंडीगढ़ नगर निगम पहले ही जेपी कंपनी से डड्डूमाजरा के प्लांट को वापस लेना चाहता है। निगम का मानना है कि इस समय डपिंग ग्राउंड में 50 लाख टन के कचरे का जो पहाड़ बना हुआ है उसके लिए जेपी कंपनी ही जिम्मेदार है। क्योंकि शहर से प्रतिदिन 450 टन कचरा निकलता है, लेकिन जेपी कंपनी का प्लांट 150 से 200 टन कचरा ही प्रोसेस कर पा रहा है। नगर निगम के अनुसार एमओयू के मुताबिक जेपी कंपनी को कचरा निशुल्क ही प्रोसेस करना था, लेकिन जेपी कंपनी टिपिंग फीस की मांग कर रही थी।

बुधवार को एनजीटी की सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों ने कहा कि नगर निगम को टिपिंग फीस देनी चाहिए। अगर नगर निगम टिपिंग फीस दे देता है तो कंपनी अपनी मशीनें भी अपडेट कर लेगी। एनजीटी के आदेश की जानकारी कमिश्नर केके यादव ने मेयर राजबाला मलिक और प्रशासक के सलाहकार को दे दी है। आदेश आने के बाद नगर निगम जेपी कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा। नगर निगम कमिश्नर केके यादव का कहना है कि एनजीटी ने नगर निगम को एक माह का समय दिया है कि वह अपने स्तर पर तय कर ले कि उन्होंने जेपी कंपनी से काम करवाना है या नहीं। उधर,  निगम के पार्षद पहले ही चाहते हैं कि नगर निगम जेपी प्लांट को टेकओवर करके खुद चलाएं।

सरेंडर का दावा कर मुकर चुकी है कंपनी

डड्डूमाजरा के गारबेज प्रोसिसिंग प्लांट को सरेंडर करने के लिए जेपी कंपनी पिछले माह तैयार हो गई थी, लेकिन बाद में कंपनी इससे मुकर गई। नगर निगम कंपनी को प्लांट की वर्तमान कीमत के हिसाब से कीमत भी अदा करने के लिए तैयार है। नगर निगम अब प्राइवेट वेल्यूअर को हायर करेगी जो कि कंपनी की प्लांट में लगी मशीन का निरीक्षण कर उनकी कीमत तय करे।

प्लांट के कारण भरा डपिंग ग्राउंड

नगर निगम का मानना है कि इस समय डपिंग ग्राउंड में 50 लाख टन कचरा भरा हुआ है जोकि पूरे शहर के लिए मुसीबत बन गया है। इसके पीछे प्लांट ही जिम्मेदार है। स्मार्ट सिटी के तहत यहां पर पड़े कचरे को प्रोसेस करने के लिए 34 करोड़ रुपये का टेंडर अलॉट किया गया है जो कि साल 2022 के मार्च माह तक काम चलेगा। नगर निगम चाहता है कि जो डपिंग ग्राउंड में कचरे को प्रोसेस करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा हैं उसे भी जेपी कंपनी से वसूला जाए।

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