दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने अपने रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। हालांकि, अब उन्हें मार्शल लॉ के फैसले में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार कर लिया गया है।
दक्षिण कोरिया में हाल ही में एक बड़ा राजनीतिक संकट देखने को मिला। राष्ट्रपति यून सुक योल ने बुधवार को मार्शल लॉ (सैन्य शासन) घोषित कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि विपक्ष देश की लोकतंत्र और स्थिरता के लिए खतरा बन रहा है। यह निर्णय देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चौंकाने वाला था, क्योंकि यह चार दशकों में पहली बार था जब दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लगाया गया। सेना ने संसद को चारों ओर से घेर लिया और सियोल की सड़कों पर सैनिक तैनात कर दिए गए।
हालांकि, कुछ ही घंटों बाद, राष्ट्रपति यून सुक योल ने इस निर्णय को वापस ले लिया। यह कदम जनता के विरोध और नेशनल असेंबली की कड़ी आलोचना के बाद लिया गया। दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ केवल लगभग छह घंटे चला।
मार्शल लॉ के फैसले में भूमिका के लिए रक्षा मंत्री गिरफ्तार
इसके बाद राष्ट्रपति यून ने अपने रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। अब उन्हें मार्शल लॉ के फैसले में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार कर लिया गया है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, किम योंग-ह्यून पर यात्रा प्रतिबंध भी लगा दिया गया है और मामले की जांच चल रही है। वहीं रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को तीन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया, जो इस ऑपरेशन में शामिल थे।
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उसने मार्शल लॉ ऑपरेशन में शामिल तीन वरिष्ठ कमांडरों को निलंबित कर दिया है, जिसके तहत सैनिकों को संसद में तैनात किया गया था।
राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रस्ताव रहा विफल
मार्शल लॉ के कारण विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति यून पर महाभियोग लगाने का प्रयास किया। हालांकि, यह प्रस्ताव असफल हो गया क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के ज्यादातर सांसदों ने वोटिंग का बहिष्कार किया। देश में महाभियोग के लिए 300 सीटों वाली संसद में 200 वोटों की आवश्यकता थी, लेकिन विपक्ष के पास केवल 192 सीटें थीं। सत्तारूढ़ पार्टी के केवल तीन सांसदों ने वोटिंग में भाग लिया, जिससे प्रस्ताव खारिज हो गया। वहीं नेशनल असेंबली के स्पीकर ने इसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बताया। विपक्षी दल अगले हफ्ते नए सत्र में फिर से महाभियोग का प्रस्ताव ला सकते हैं।
जनता और पाटी सदस्यों में बढ़ा असंतोष
इस मामले में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जनता का दबाव बढ़ता है, तो सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ सदस्य भी विपक्ष के साथ मिलकर राष्ट्रपति यून को हटाने का समर्थन कर सकते हैं। राष्ट्रपति की लोकप्रियता पर इसका भारी असर पड़ा है, और उनके बाकी बचे कार्यकाल के पूरा होने की संभावना कम है।