एजेंसी/अलीसिया कोजीकिएविच सिर्फ 13 साल की थीं जब उनका किया गया बलात्कार, जब वे पिट्सबर्ग के अपने घर से बाहर निकलीं, उस शख्स से मिलने जिससे वे ऑनलाइन चैट किया करती थीं। उसके बाद जो कुछ हुआ, वह किसी बुरे सपने से कम नही था। आज वे 27 साल की हैं और अपनी कहानी बता रही हैं ताकि दूसरों के साथ वैसा न हो। अलीसिया की कहानी, उन्हीं की जुबानी –
यह 2002 का नया साल था। मेरी मां ने पोर्क और सॉरक्रॉत का बेहद स्वादिष्ट खाना बनाया था। मेरी दादी, मां, पिता, भाई और उसकी गर्लफ्रेंड, हम सबने मिलकर खाना खाया। उसके बाद मैं बाहर निकल गई थी। मुझे अच्छी तरह याद है कि मैं सड़क पर थी, चारों तरफ बर्फ ही बर्फ थी। बिल्कुल सन्नाटा छाया था। मैंने अपने आप से कहा, मैं यह क्या कर रही हूँ।
अपहरण के समय अलीसिया कोजीकिएविच
किसी ने मेरा नाम लेकर मुझे बुलाया। थोड़ी देर बाद मैं एक कार में बैठी थी। मेरा एक स्क्रीन नाम था और मैं अपने दोस्तों से हर तरह की बातें किया करती थी। उन्हीं में एक लड़का था, जो मेरी ही उम्र का लगता था। वो मुझसे काफी बातें किया करता था। मेरी बातें सुनता था, मुझे सलाह दिया करता था। यही वह लड़का था, जिसे मिलने मैं गई थी और जिसकी गाड़ी में बैठ गई थी। लेकिन उसने मेरा हाथ काफ़ी मज़बूती से पकड़ रखा था और गाड़ी चला रहा था। वह मुझसे बीच-बीच में कहता जा रहा था, “शांत हो जाओ, चुपचाप बैठो। मेरा कहा नहीं माना तो तुम्हें उठाकर गाड़ी की डिक्की में डाल दूंगा।” वह मुझे एक मकान के तहखाने में ले गया। उसने कुत्ते को बांधने वाला कॉलर मेरे गले में डाल दिया और बिस्तर पर ले गया। उसने मेरे साथ बलात्कार किया।
अलीसिया कोज़ीकिएविच को खोजने के लिए निकाला गया नोटिस
उसने मुझे बिस्तर के साथ बांध दिया, मुझे बुरी तरह पीटा। मुझे तरह-तरह की यातनाएं दी और मेरे साथ बलात्कार करता रहा। मेरे साथ ऐसा चार दिन तक होता रहा। मैंने अपने आप से कहा, “शायद वह मेरी हत्या कर दे। पर मैं संघर्ष किए बग़ैर हार नहीं मानूँगी। पर मुझे लगा कि पूरी तरह टूट चुकी थी।” ऐसे में मुझे अपने माता-पिता की बहुत याद आई। मैं जानती थी कि वे मुझे ढूंढ रहे होंगे। वे मुझे यहां से निकालने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे होंगे। पर सवाल यह था कि वे मुझे ज़िंदा पाएंगे या नहीं। आज भी लोग मेरी कहानी सुनते हैं तो उन्हें काफ़ी झटका लगता है। जिस समय मेरा अपहरण हुआ, लोगों के लिए यह समझना नामुमकिन था कि मेरे साथ यह आख़िर कैसे हो गया। वे लोग तो पीड़ित पर ही दोष डाल देते हैं।