जालंधरः भारतीय संस्कृति में दान को जीवन का सर्वोत्तम कार्य बताया गया है। किसी की जान बचाने वाले दान को सबसे बड़ा दान कहना गलत नहीं होगा। इसीलिए रक्तदान को जीवन का सबसे बड़ा दान कहा गया है। रक्तदान का ऐसा ही सराहनीय उदाहरण जालंधर में देखने को मिला, जहां डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल ने अपना रक्तदान कर 85 वर्षीय महिला की जान बचाई।
गुरुवार को रविदास चौक के पास घई अस्पताल में 85 वर्षीय महिला को बी-नेगेटिव रक्त की आवश्यकता थी। जो पूरे शहर में कहीं नहीं है, इसके लिए डॉक्टरों ने इंटरनेट पर ब्लड ग्रुप उपलब्ध कराने की अपील की।
यह पोस्ट जालंधर के डी.सी ने विशेष सारंगल ने देखी तो वह खुद रक्तदान करने अस्पताल पहुंच गए। इससे उक्त महिला की जान बच गई। महिला की जान अब खतरे से बाहर है। डिप्टी कमीश्नर के इस कार्य की पूरे शहर में सराहना हो रही है। इससे पहले कोरोना काल के दौरान विशेष सारंगल ने ए.डी.सी. के रूप में सेवाएं प्रदान करते हुए शहरवासियों की काफी मदद की थी।
बी-निगेटिव ब्लड ग्रुप केवल दो प्रतिशत रक्तदान में पाया जाता है। ऐसे में अगर किसी को इस ग्रुप की जरूरत हो तो ब्लड डोनर की काफी तलाश करनी पड़ती है। घई अस्पताल में भर्ती 85 साल की महिला चंदन नेगी को खून की जरूरत थी और उनके प्लेटलेट्स काफी कम हो गए थे। डॉ. यू.एस. घई ने कहा कि मरीज की हालत गंभीर होती जा रही है और तत्काल रक्त चढ़ाने की जरूरत है। यदि उपायुक्त समय पर नहीं आते तो अप्रत्याशित घटना घट सकती थी।