जापान में 80 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि ओलंपिक का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए : जापान के कैबिनेट मंत्री टारो कोनो

कोरोनावायरस के कारण एक साल के लिए टाले जाने के बावजूद टोक्यो ओलिंपिक पर इस वायरस के संकट के बादल अभी तक छंटे नहीं हैं. नए साल की शुरुआत के साथ कोरोनावायरस के मामलों में आई तेजी ने जापान की सरकार को और परेशानी में डाल दिया है और तमाम दावों के बावजूद खुद सरकार इसको लेकर आश्वस्त नहीं है कि खेल हो भी पाएंगे या नहीं. कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने भरोसा दिलाया था कि टोक्यो ओलिंपिक सुरक्षित माहौल में अपने समय पर होंगे, लेकिन उन्हीं की कैबिनेट के एक मंत्री टारो कोनो के बयान ने चिंता बढ़ा दी है.

टोक्यो में पिछले साल होने वाले ओलिंपिक और पैरालिंपिक खेलों को कोरोनावायरस के कारण एक साल के लिए टाल दिया गया था. तब उम्मीद जताई जा रही थी कि वैक्सीन आने के बाद खेलों का आयोजन आसान हो जाएगा. जापान सरकार और अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी भी यही उम्मीद जता रही है. लेकिन हालिया मामलों को देखते हुए संशय बरकरार है. ओलिंपिक 23 जुलाई से शुरू होंगे जिनके बाद 24 अगस्त से पैरालंपिक शुरू होंगे.

ओलिंपिक और पैरालिंपिक का आयोजन जुलाई-अगस्त में किया जाना है और इसमें अभी छह महीने का समय बचा है. ऐसे में टारो कोनो के विरोधाभासी बयान ने खेल से जुड़े लोगों को चिंता में डाल दिया है. कोनो ने ‘रॉयटर्स नेक्स्ट कॉन्फ्रेंस’ में कहा,

इतना ही नहीं, कोनो ने ओलंपिक रद्द होने की आशंका भी जतायी. उन्होंने एक सर्वे का हवाला देते हुए बताया कि जापान में 80 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि ओलंपिक का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए या ये आयोजित नहीं होंगे.

टोक्यो में इस साल की शुरुआत में कोरोनावायरस के मामलों में तेजी आई है और एक दिन में 2 हजार से ज्यादा मामले आने लगे हैं. इतना ही नहीं यहां कोरोना के नये स्ट्रेन के मामले भी आए हैं, जिन्होंने परेशानी और बढ़ाई. इसके कारण ही जापान के प्रधानमंत्री ने बीते हफ्ते टोक्यो समेत 4 शहरों में एक महीने का आपातकाल लागू कर दिया. जापान में कोरोनावायरस से करीब 4,000 मौत हुई हैं.

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