बुधवार को ईरान की राजधानी तेहरान में संसद पर बड़ा आतंकी हमला हुआ. बताया जा रहा है कि चार बंदूकधारी संसद परिसर में घुस गए और वहां मौजूद जनप्रतिनिधियों को बंधक बना लिया है. इसके अलावा इमाम अयातुल्ला खुमैनी के मकबरे पर भी आत्मघाती हमले को अंजाम दिया गया. आतंकी संगठन ISIS ने हमले की जिम्मेदारी ली है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि विकास के रास्ते पर अग्रसर ईरान की संसद को क्यों निशाना बनाया गया?
दरअसल, 2011 में शुरू हुई अरब क्रांति के बाद मध्य एशिया में संकट की स्थिति है. सीरिया अब तक सत्ता परिवर्तन के संघर्ष की आग में झुलस रहा है. अरब क्रांति के बाद 29 जून, 2014 को अबु बकर अल बगदादी ने अपनी खिलाफत का झंडा बुलंद किया. इसके बाद ISIS ने धीरे-धीरे दुनिया के कई हिस्सों में अपना नेटवर्क फैलाना शुरू कर दिया.
सीरिया के आंतरिक संघर्ष को आईएसआईएस ने एक नया रूप दिया. साथ ही इराक में ISIS के लड़ाकों ने खूब तबाही मचाई. इसके बाद अमेरिका समेत दुनिया की दूसरी ताकतों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का आह्वान करते हुए ISIS के खिलाफ लड़ाई शुरू की. इराक में आईएसआईएस का लगभग खात्मा कर दिया गया. मोसूल समेत कई इलाकों में ISIS के ठिकानों को तबाह कर सेना ने अपना कब्जा कर लिया. दूसरी तरफ सीरिया में आतंक के खात्मे के नाम पर विद्रोहियों पर हवाई हमले तक किए गए. जिसमें सैंकड़ों की तादाद में बेकसूर और मासूमों की मौत हो गई.
विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के आह्वान पर रूस और ईरान ने उसका खुलकर उसका साथ दिया. जबकि कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने असद सरकार के खिलाफ संघर्ष छेड़ने वाले असंख्य विद्रोही गुटों का समर्थन किया. सऊदी अरब और अमेरिका ने असद को सत्ता छोड़ देनी की नसीहत दी है. मगर, ईरान अलवाइत बहुमत वाली असद सरकार को बनाये रखने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रहा है. ईरान सीरियाई सरकार को रियायती दरों पर हथियार, सैन्य सलाहकार, पैसा और तेल मुहैया करा रहा है.
असद अरब देशों में ईरान के सबसे करीबी दोस्त हैं. लेबनानी शिया संगठन हिज़बुल्लाह तक ईरानी हथियारों को पहुंचाने के लिए सीरिया उसका मुख्य रास्ता है. दूसरी तरफ सऊदी अरब अपने पड़ोसी मुल्क यमन से लड़ रहा है. आरोप है कि ईरान यमन को समर्थन कर रहा है.
ISIS इराक से नेस्तनाबूद होने की कगार पर खड़ा है. हमले के पीछे एक वजह ISIS की विस्तार नीति भी मानी जा सकती है. क्योंकि इराक में पैर उखड़ने के बाद आईएसआईएस एशियाई देशों समेत दूसरे मुल्कों में अपना खौफ कायम करना चाहता है. दरअसल, बगदादी की खिलाफत की अवधारणा ही पूरी दुनिया को लीड करने की है. ईरान पर हमले के पीछे ISIS की साजिश की दूसरी वजह उसका शिया देश होना भी हो सकता है. ईरान दुनिया का इकलौता शिया मुल्क है, जो ताकतवर मुल्कों को सीधे टक्कर देता है. चूंकि, ISIS को पूर्ण रूप से सुन्नी मुस्लिमों का संगठन माना जाता है, ऐसे में शिया-सुन्नियों का टकराव भी इस हमले की वजह माना जा सकता है.