जानिए, सिर्फ सरसों का तेल से ही क्यों प्रसन्न होते जाते शनिदेव

ग्रहों में शनिदेव को कर्मों का फल देना वाला ग्रह माना गया है। शनिदेव एकमात्र ऐसे देव हैं जिनकी पूजा लोग डर की वजह से करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है शनि देव न्‍याय के देवता हैं जो इंसान को उसके कर्म के हिसाब से फल देते हैं।

हमारे धर्म शास्त्रों में शनि ग्रह को अति क्रूर कहा गया है। अशुभ शनि व्यक्ति का जीवन दुखों व असफलताओं से भर देता है। ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार शनि के कुप्रभाव से बचने के लिए हनुमान साधना को श्रेष्ठ कहा गया है।

शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन हर जगह शनि देव की विशेष पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में शनि देव को प्रसन्‍न करने के लिए सबसे शुभ दिन शनिवार का ही माना जाता है। शनिवार के दिन शनि देव का प्रसन्‍न करने के लिए मंदिरों में और जगह-जगह पर शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है।

आपने देखा होगा कि एक बाल्‍टी में शनि देव की तस्‍वीर को सरसों के तेल में आधी डुबोकर रखा जाता है।

शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाने के लिए मंदिर के बाहर लंबी लाइन देखने को मिलती है। मान्‍यता है कि शनि देव को तेल चढ़ाने से उनकी पीड़ा कम हो जाती है और फिर वे अपने भक्‍त की पीड़ा को भी कम कर देते हैं। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि शनि देव को तेल चढ़ाने से जीवन की सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

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आर्थिक समस्‍याओं से जूझ रहे लोगों को भी शनिवार के दिन शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि कोई व्‍यक्‍ति शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैय्या से गुज़र रहा है तो उसे भी शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए और उन्‍हें शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।

शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। शनिदेव की कृपा से रंक भी राजा बन जाता है, और उन्हीं की दृष्टि से राजा को रंक बनते ज़रा भी देर नहीं लगती। श्रद्धालु शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के उपाय और पूजा-अर्चना करते हैं। अपने विभिन्न प्रयत्नों से सभी शनिदेव को प्रसन्न व शांत रखने का प्रयास करते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडी5 दयानन्द शास्त्री के अनुसार शनिदेव पीपल के वृक्ष के नीचे वास करना पसंद करते हैं, यदि वजह है कि आपको शनिदेव के अधिकांश मंदिर पीपल के पेड़ नीचे ही मिलेंगे।

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