जानिए सिखों के लिए क्यों है अहम करतारपुर साहिब

 सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था, जो इस साल 23 नवंबर को पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस बीच अच्छी खबर यह है कि पाकिस्तान करतारपुर कॉरीडोर खोलने को राजी हो गया है और मोदी सरकार ने भी करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाने को हरी झंडी दे दी है।

अब बिना वीजा के भारतीय करतारपुर साहिब जा सकेंगे। सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक की 550वीं पुण्यतिथि पर करतारपुर कॉरीडोर को खोला जाएगा। सिख समुदाय लंबे अरसे से इसे खोलने की मांग कर रहा था। यह गुरुद्वारा सिखों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि 22 सितंबर, 1539 को गुरुनानक का देहावसान करतारपुर में ही हुआ था और वहीं पर उनका समाधि स्थल भी है।

लिहाजा, कॉरीडोर को खोलने के लिए 22 सितंबर की तारीख तय की गई है। पंजाब के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक से यह गुरुद्वारा साफ देखा जा सकता है। करतारपुर में गुरु नानक देव ने अपने जीवन के आखिरी 18 साल गुजारे थे। भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर से लेकर गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक तक कॉरिडोर बनाए जाने का प्रस्ताव है।

4 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के बन जाने के बाद सिख श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब जाने में सहूलियत होगी। बताते चलें कि अभी श्रद्धालुओं को अटारी-वाघा मार्ग से जाना पड़ता है, जो काफी लंबा है।

सिख धर्म की स्थापना की

समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन और सुख का ध्यान न करते हुए अरब, फारस और अफगानिस्तान की यात्राएं कीं। नानकजी का जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा के दिन खत्रीकुल में हुआ था। कुछ विद्वान इनकी जन्मतिथि 15 अप्रैल, 1469 मानते हैं। किंतु प्रचलित तिथि कार्तिक पूर्णिमा ही है, जो अक्टूबर-नवंबर में दिवाली के 15 दिन बाद होती है।

गुरु नानक जी के आशीर्वाद का रहस्य

गुरु नानक देव जी अपने शिष्यों के साथ एक गांव पहुंचे। उस गांव के लोग बहुत बुरे और उन्होंने गुरु नानक व उनके शिष्यों के साथ भी दुर्व्यवहार किया। गुरु जी ने गांव वालों को दुर्व्यवहार न करने के लिए समझाया, लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ। गुरु नानक जी के वहां से निकलने के दौरान गांव वालों ने कहा- हमने आपकी इतनी सेवा की, कुछ आशीर्वाद तो देते जाइए,। उन्हें आशीर्वाद देते हुए गुरु जी ने कहा- ‘एक साथ एक जगह पर रहो।’

इसके बाद गुरु नानक जी और उनके शिष्य दूसरे गांव पहुंचे। उस गांव के लोग बहुत ही अच्छे थे और उन्होंने गुरु जी की खूब सेवा की। गुरु नानक के गांव छोड़ने के समय ग्रामीणों ने आशीर्वाद मांगा, तो नानक जी ने कहा- तुम सब उजड़ जाओ।

यह सुनकर उनके शिष्य हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि गुरुजी आपके दोनों गांवों में दिए आशीर्वाद का रहस्य हमें समझ में नहीं आया। तब गुरु नानकजी ने कहा- एक बात हमेशा ध्यान रखो। सज्जन व्यक्ति जहां भी जाता है, वो अपने साथ सज्जनता और अच्छाई लेकर जाता है। वो जहां भी रहेगा, अपने चारों ओर प्रेम और सद्भाव का वातावरण बना कर रखेगा। अतः मैंने सज्जन लोगों से भरे गांव के लोगों को उजड़ जाने को कहा। वहीं, पहले गांव के लोग बुरे थे वे अगर दूसरे इलाकों में फैलते, तो वहां भी बुराई ही फैलाते, इसलिए उन्हें उनके ही गांव में एक साथ रहने का आशीर्वाद दिया।

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