यलगार परिषद इन दिनों सुर्खियों में है। भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने के आरोप के बाद यह जांच एजेंसियों के निशाने पर है। दरअसल, इस मामले में जहां सरकारी पक्ष कानून व्यवस्था और देश की एकता अंखडता का मसला मानता है, वहीं दूसरा पक्ष इसमें दूर की सियासत कर रहा है। वह इसे दलितों से जोड़ कर इसको राजनीतिक आयाम देना चाहता है। आइए आपको बताते हैं कि यलगार परिषद क्या है और भीमा कोरेगांव से इसका क्या लिंक है।
क्या है यलगार परिषद?
जैसा सुनने में लगता है कि यलगार परिषद कोई संस्था या संगठन होगा, लेकिन ऐसा है नहीं। दरअसल, यह एक रैली थी। इस रैली का नाम यलगार परिषद था। लेकिन यलगार परिषद के पहले यह समझना जरूरी है कि भीमा कोरेगांव का इससे क्या कनेक्शन है। दरअसल, भीमा कोरेगांव का लिंक ब्रिटिश हुकूमत से है। यह पेशवाओं के नेतृत्व वाले मराठा साम्राज्य और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए युद्ध के लिए जाना जाता है। इस रण में मराठा सेना बुरी तरह से पराजित हुई थी।
इस युद्ध में मराठा सेना का सामना ईस्ट इंडिया कंपनी के महार (दलित) रेजीमेंट से था। इसलिए इस जीत का श्रेय महार रेजीमेंट के सैनिकों को जाता है। तब से भीमा कोरेगांव को पेशवाओं पर महारों यानी दलितों की जीत का रण माना जाने लगा। इसे एक स्मारक के तौर पर स्थापित किया गया और हर वर्ष इस जीत का उत्सव मनाया जाने लगा। भीमराव आंबेडकर इस जीत के जश्न में यहां हर साल आते रहे।
31 दिसंबर 2017 को इस युद्ध की 200वीं सालगिरह थी। ‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान’ के बैनर तले कई संगठनों ने मिलकर एक रैली का अयोजन किया। इसका नाम ‘यलगार परिषद’रखा गया। वाड़ा के मैदान पर हुई इस रैली में ‘लोकतंत्र, संविधान और देश बचाने’ की बात कही गई। दिवंगत छात्र रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला ने इस रैली का उद्घाटन किया था। इस रैली में प्रकाश आंबेडकर, हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल, गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू छात्र उमर खालिद, आदिवासी एक्टिविस्ट सोनी सोरी आदि मौजूद रहे।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal