जानिए न्‍यूजीलैंड ने किन से तरीको से पाया कोरोना संकट पर काबू, दुनिया के लिए बना मिसाल

एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी से बुरी तरह से ग्रस्‍त है वहीं दूसरी तरफ न्‍यूजीलैंड ने इस पर काबू पाकर विश्‍व के सामने एक मिसाल पेश की है। पूरी दुनिया में एक वर्ष बीत जाने के बाद भी कोरोना महामारी का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कई देशों में इसकी दूसरी तो कुछ में इसकी तीसरी लहर आने से लोग और सरकारें दोनों ही चिंतित हैं। भारत की ही बात करें तो बीते एक वर्ष में पहली बार देश में एक लाख से अधिक कोरोना संक्रमित एक दिन में सामने आए हैं। ये हाल सिर्फ भारत का ही नहीं हैं बल्कि दुनिया के दूसरे मुल्‍कों का भी यही हाल है।

न्‍यूजीलैंड की ही बात करें तो वहां पर अब तक इसके कुल 2507 मामले ही रिपोर्ट हुए हैं और इतने ही मरीज करीब ठीक हुए हैं। वहीं यहां पर कोरोना संक्रमण की वजह से अब तक केवल 26 मरीजों की ही मौत हुई है जो कि अच्‍छी बात है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर इस महामारी पर न्‍यूजीलैंड ने कैसे लगाम लगाने में सफलता हासिल की है। आपको बता दें कि पिछले वर्ष भी जब ये महामारी विकराल रूप ले रही थी, न्‍यूजीलैंड में इसके मामलों में जबरदस्‍त गिरावट देखी गई थी। सबसे पहले न्‍यूजीलैंड ने ही इसके खतरे को देखते हुए अपनी सीमाओं को सील भी किया था। संक्रमित व्‍यक्ति के लिए क्‍वारंटीन में रहने का नियम भी न्‍यूजीलैंड में अच्‍छे से लागू किया गया। इतना ही नहीं न्‍यूजीलैंड ऐसा पहला देश था जिसने अपने यहां से लॉकडाउन हटाकर सभी दफ्तरों और शॉपिंग माल्‍स को खोला था। अब भी उसने कुछ ऐसा ही किया है।

न्‍यूजीलैंड में कोरोना के खतरे को देखते हुए जीनोम सिक्‍वेंसिंग और एपिडेमियोलॉजी की मदद ली। आज इसी तकनीक की मदद से न्‍यूजीलैंड दुनिया की प्रयोगशाला के रूप में उभरकर सामने आया है। कोरोना की रफ्तार थामने के लिए न्‍यूजीलैंड की सरकार ने न सिर्फ इसके संक्रमितों का पता लगाया बल्कि उनका भी पता लगाया जो उनके संपर्क में आए थे। इसके बाद जीनोम सिक्‍वेंसिंग के जरिए विशेषज्ञ इस बात की जानकारी हासिल करने में सफल रहे कि किस जगह पर कोरोना का तेजी से प्रसार हुआ। उनको क्‍वारंटीन कर इलाज किया गया। संक्रमण वाले इलाकों में सिलसिलेवार तरीके से लॉकडाउन भी लगाया गया। इसको देखते हुए विशेषज्ञों की मदद और सलाह से सरकार ने आगे की रणनीति बनाई और इसके सामुदायिक संक्रमण की नौबत आने से पहले ही इस पर काबू पा लिया गया। आपको यहां पर ये भी बता दें कि न्‍यूजीलैंड में पिछले कुछ दिनों से संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है।

आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि जीनोम सिक्‍वेंसिंग अमेरिका और ब्रिटेन में भी की गई थी लेकिन ऐसा हर मामले में नहीं किया गया, इसलिए वहां पर अब भी मामले बढ़ रहे हैं। भारत की ही बात करें तो यहां पर केवल एक फीसद मामलों में ही जीनोम सिक्‍वेंसिंग का सहारा लिया गया है। जीनोम सिक्‍वेंसिंग से जुड़ी वैज्ञानिक डॉक्‍टर जेम्‍मा जियोंगेगेन का कहना है कि कोरोना वायरस में करीब 30 हजार जीनोम होते हैं। जब भी इससे कोई संक्रमित होता है तो वायरस की प्रकृति में भी बदलाव आता है। वैज्ञानिक इसके प्रकारों की मदद से वायरस का एक फैमिली ट्री बनाते हैं। इससे वायरस में होने वाले छोटे से म्‍यूटेशन का भी पता चल जाता है। इससे ये पता चलता है कि वायरस का संक्रमण किस तरह से फैल रहा है। एक बार वायरस के म्‍यूटेशन के बारे में पता चल जाता है तो इसके आधार पर वैक्‍सीन में बदलाव किया जाता है जिसका असर साफतौर पर न्‍यूजीलैंड में देखा जा रहा है।

 

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