जानिए क्यों फलदायक है श्रावण माह का दूसरा सोमवार ???

सावन का दूसरा सोमवार व्रज योग लेकर आया है। इस दिन व्रज नामक योग बन रहा है। इस दोनों योगों के कारण सावन का दूसरा सोमवार विशेष फलदायक बन गया है।इस दिन भगवान शिव की पूजा से बल एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें। इस सोमवार के दिन भगवान शिव को भांग, धतूरा एवं शहद अर्पित करना उत्तम फलदायी रहेगा।

जानिए क्यों फलदायक है श्रावण माह का दूसरा सोमवार ???

सावन के दूसरा सोमवार का महत्व

सावन में शिव पूजन के लिए कांवड़िये गंगाजल लेकर अपने-अपने स्थानों को लौट रहे हैं। साथ ही मंदिरों में श्रद्धालु शिव का जलाभिेषेक कर रहे हैं। कहते हैं सावन का महीना भोले-भंडारी को अतिप्रिय है।

इस समय में शिव अपने भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं। शिव की पूजा अर्चना का महीना है सावन. पुराणों और शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सावन सोमवार, सोलह सोमवार और सोम प्रदोष।

सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है। इस व्रत को श्रावण माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है। श्रावण सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।

श्रावण सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए। शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव मात्र एक लोटा जल, बेलपत्र, मंत्र जप से ही प्रसन्न हो जाते है।

अत: मनुष्य अगर शिव का इतना भी पूजन कर लें तो पाप कर्मों से सहज मुक्ति प्राप्त हो जाती है। पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें – ‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये’

इसके बाद निम्न मंत्र से ध्यान करें –

‘ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌. पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥

ध्यान के पश्चात ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का तथा ‘ ॐ नमः शिवाय’ से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें.

श्रावण सोमवार व्रत कथा

स्कंद पुराण के अनुसार जब सनत कुमार ने भगवान शिव से पूछा कि आपको श्रावण मास इतना प्रिय क्यों है? तब शिवजी ने बताया कि देवी सती ने भगवान शिव को हर जन्म में अपने पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। लेकिन अपने पिता दक्ष प्रजापति के भगवान शिव को अपमानित करने के कारण देवी सती ने योगशक्ति से शरीर त्याग दिया।

इसके पश्चात उन्होंने दूसरे जन्म में पार्वती नाम से राजा हिमालय और रानी नैना के घर जन्म लिया। उन्होंने युवावस्था में श्रावण महीने में ही निराहार रहकर कठोर व्रत द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया।

मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए व्रत

इसीलिए मान्यता है कि श्रावण में निराहार रह भगवान शिव का व्रत रखने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। कुंआरी लड़कियों और लड़कों को इस महीने विशेष रूप से व्रत करने से शादी के योग बनते हैं। साथ ही श्रावण मास में व्रत रखने से भगवान शिव जीवन के सभी कष्टों का निवारण करते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस माह के प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत रखना चाहिए, शिवलिंग या शिव प्रतिमा का गंगा जल या दूध से अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को बेलपत्र अतिप्रिय होते हैं इसलिए पूजा की सामग्री में इसे अवश्य रखना चाहिए।

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