जानिए क्या है बोधिसत्व?, AAP नेता के बयान के बाद उठे ये सवाल.. 

बोधिसत्व क्या है? क्या ये हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने पर रोक लगाता है? दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम की उपस्थिति में आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर विवाद बहुत ज्यादा छिड़ गया है।

बता दें कि राजेंद्र पाल गौतम पर हिंदू देवी देवताओं का अपमान करने का आरोप लगा है। मिली जानकारी के मुताबिक, बुधवार को विजयदशमी के दिन करोलबाग के रानी झांसी रोड स्थित आम्बेडकर भवन में राजेंद्र पाल गौतम की उपस्थिति में एक कार्यक्रम हुआ। इसमें लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा तो ली ही, लेकिन इस बात की भी शपथ ले ली कि वे हिंदू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करेंगे और न ही उन्हें ईश्वर मानेंगे।

राजेंद्र गौतम की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम को लेकर भाजपा ने भी कई सवाल उठाए है। इस विवाद के बाद से लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे है कि आखिर बोधिसत्व क्या है और क्या ये हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने और ईश्वर को न मानने पर रोक लगाता है? एशियाई इतिहास और धार्मिक अध्ययन के एसोसिएट प्रोफेसर पियर्स सालगुएरो ने अपनी किताब “बौद्ध धर्म: जिज्ञासु और संदेह के लिए 20 सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध विचारों के लिए एक गाइड” में बौद्ध धर्म या बोधिसत्व की परिभाषा को समझाया है और बताया है कि आखिर क्या है बोधिसत्व?

क्या है बोधिसत्व?

बौद्धों के विभिन्न समूहों द्वारा बोधिसत्व शब्द को अलग-अलग तरीकों से समझा जाता है। बौद्ध धर्म में “बोधिसत्व” एक महत्वपूर्ण विचार है। यह शब्द संस्कृत मूल बोधि से बना है, जिसका अर्थ है “जागृति” या “ज्ञानोदय”, और सत्व, जिसका अर्थ है “होना”। बोधिसत्व शब्द का मूल अर्थ है “एक व्यक्ति जो प्रबुद्ध होने के रास्ते पर है”।

कौन है बोधिसत्व?

बोधिसत्व शब्द का प्रयोग विशेष रूप से सिद्धार्थ गौतम के संदर्भ में किया जाता है। बता दें कि पारम्परिक रूप से महान दया से प्रेरित, बोधिचित्त जनित, सभी संवेदनशील प्राणियों के लाभ के लिए सहज इच्छा से बुद्धत्व (बौद्ध धर्म) प्राप्त करने वाले को बोधिसत्व माना जाता है।

बोधिसत्व शब्द का उपयोग समय के साथ विकसित हुआ। प्राचीन भारतीय बौद्ध धर्म के अनुसार, गौतम बुद्ध के पूर्व जीवन को विशिष्ट रूप से प्रदर्शित करने के लिए काम में लिया जाता था। जानकारी के लिए बता दें कि गौतम का जन्म सुदूर उत्तरपूर्वी भारत में एक राज्य के राजकुमार के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए अपनी सारी संपत्ति पीछे छोड़ दी और एक प्रबुद्ध व्यक्ति बनने की राह पर निकल पड़े।

कैसे बनते हैं बोधिसत्व

बोधिसत्व में दस भूमियों को अगर प्राप्त कर लिया जाए तो वह गौतम बुद्ध कहलाते हैं। यह दस बल हैं- मुदिता, विमला, दीप्ति, अर्चिष्मती, सुदुर्जया, अभिमुखी, दूरंगमा, अचल, साधुमती, धम्म-मेघा। कहा जाता है कि बुद्ध शाक्यमुनि केवल एक बुद्ध हैं – उनके पहले बहुत सारे थे और भविष्य में और होंगे। बौद्ध धर्म का लक्ष्य सम्पूर्ण मानव समाज से दुख का अंत करना है।

बोधिसत्व क्यों मायने रखते हैं?

बोधिसत्व में अवलोकितेश्वर, क्षितिगर्भ, मंजुश्री, सामंतभद्र और वज्रपासी जैसे कुछ सबसे प्रसिद्ध उन्नत बोधिसत्वों की नियमित रूप से प्रार्थना की जाती है और उन्हें प्रसाद दिया जाता है। बता दें कि इनसे जुड़े ग्रंथों और मंत्रों का दुनिया भर के मंदिरों में नियमित रूप से जाप किया जाता है।

बोधिसत्व पृथ्वी पर मनुष्यों, जानवरों या अन्य प्रकार के प्राणियों के रूप में भी प्रकट हो सकते हैं। तिब्बती बौद्ध के मुताबिक,दलाई लामा बोधिसत्व अवलोकितेश्वर की अभिव्यक्ति है, जिसे तिब्बती में चेनरेज़िग कहा जाता है, जो मानवता के बीच करुणा के अपने संदेश को फैलाने के लिए नियमित रूप से पृथ्वी पर आते रहते हैं।

जब बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर हिंदू धर्म छोड़कर बन गए थे बौद्ध

‘मैं हिंदू धर्म में पैदा ज़रूर हुआ, लेकिन हिंदू रहते हुए मरूंगा नहीं।’ बता दें कि वर्ष 1935 में अंबेडकर ने इस वक्तव्य के साथ हिंदू धर्म छोड़ने की घोषणा कर दी थी और 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर स्थित दीक्षाभूमि में अंबेडकर ने विधिवत बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था। अंबेडकर ने एक सामूहिक धर्म परिवर्तन के एक कार्यक्रम में अपना धर्म बदला था और अपने अनुयायियों को भी शपथ दिलवाईं थी। इस शपथ का सार था कि वह बोद्ध धर्म अपनाने के बाद किसी भी हिंदू देवी देवता और उनकी पूजा में विश्वास नहीं करेंगे और किसी भी किस्म की पूजा नहीं की जाएगी।

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