जूलियस सीजर ने की थी पहले कैलेंडर की स्थापना
न्यू ईयर मनाने की परंपरा करीब 4000 साल पुरानी बताई जाती है।कहा जाता है कि सबसे पहले नया साल 21 मार्च को बेबीलोन में मनाया गया।ये वो समय था जब रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का जश्न मनाया गया।हालांकि कुछ समय बाद इस कैलेंडर में कुछ खामियों की वजह से पोप ग्रेगारी ग्रेगेरियन कैलेंडर लेकर आए जो कि जूलियन कैलेंडर का ही रूपांतरण है।
कैलेंडर का पूरा इतिहास मौसमों के चक्र की समझ से जुड़ा हुआ है।2000 साल के इतिहास में कैलेंडर में बहुत से संशोधन करने पड़े थे।ऐसा इसलिए भी था क्योंकि हम बहुत धीरे-धीरे ये जान पाए थे कि कि हमारी पृथ्वी सूरज का एक चक्कर ठीक-ठीक कितने समय में लगाती है।वैसे एक साल का हिसाब बनाने के लिए चांद भी बहुत काम आया।बहरहाल इसी आधार पर दुनिया के तमाम देशों ने अपने-अपने कैलेंडर बनाएं।दुनिया में इस समय सैकड़ों कैलेंडर अस्तित्व में हैं, जिसमें भारतीय पंचांग भी शामिल हैं।
हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से मानी जाती है।इसे नव संवत कहते हैं।मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल में आती है।
इस्लामी नववर्ष
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, मोहर्रम महीने की पहली तारीख को मुस्लिम लोगों का नया साल हिजरी शुरू हो जाता है।ये कैलेंडर चंद्र पर आधारित होता है।
जैन नववर्ष
जैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन शुरू हो जाता है। मान्यता के अनुसार, भगवान महावीर स्वामी को दीपावली के दिन ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।इसके अगले दिन ही जैन धर्म के अनुयायी नया साल मनाते हैं। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं।
सिक्ख नववर्ष
पंजाब में नया साल बैसाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो अप्रैल में आता है। सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) नया साल होता है।
सिक्ख नववर्ष
पंजाब में नया साल बैसाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो अप्रैल में आता है। सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) नया साल होता है।