भगवान श्री हरि अपना 10वां अवतार (कल्कि), कलयुग के अंत में जन्म लेंगे। जब वह जन्म लेंगे तब हर तरफ पाप होगा, और अधर्म का बोलबाला होगा। तब भगवान कल्कि इन विषम परिस्थितियों का अंत करेंगे।भगवान विष्णु के 10वें अवतार के रूप में जन्म लेने वाले ‘भगवान कल्कि’ सम्भल नामक जगह पर जन्म लेंगे। लेकिन सम्भल कहां है इस बारे में बौद्धिक और पौराणिक मतभेद है।
कुछ विद्वान सम्भल को उड़ीसा, पंजाब और बंगाल में मानते हैं। वैसे उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में सम्भल नाम का शहर है जिसे पृथ्वीराज चौहान ने बसाया था। यहां पर भगवान कल्कि का मंदिर भी मौजूद है।
भगवान कल्कि से संबंधित पूरी जानकारी कल्कि पुराण में मौजूद है। इस पुराण के अनुसार, सम्भल नामक शहर में प्रभु का जन्म होगा। कल्कि कम उम्र में ही वेदादि शास्त्रों का पाठ करके महापण्डित हो जाएंगे। उनका विवाह बृहद्रथ की पुत्री पद्मादेवी के साथ होगा।’
वहीं, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में उल्लेख मिलता है कि प्रभु कल्कि का विवाह माता वैष्णों से होने का उल्लेख मिलता है।
दरअसल, त्रेतायुग में जब मां वैष्णो देवी ने श्रीराम से विवाह की इच्छा जाहिर की, तो उन्हें एक पत्नीव्रत के बारे में बताया। लेकिन उन्होंने वर दिया कि कलयुग के अंत में वह पुनः इस धरती पर जन्म लेंगे। तब उनका विवाह वैष्णो देवी से संभव है।
कलियुग के बारे में धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि वह यह कि ‘कलयुग को जो चीज अलग करती है, वह है सौर मंडल और जिस ‘महा सूर्य’ के आस पास सौर-मंडल परिक्रमा कर रहा है, उसकी दूरी अपने चरम पर है।
जितनी इन दोनों के बीच की दूरी बढ़ेगी, उतनी ही धरती पर इंसान की बुद्धिमानी या समझदारी कम होगी।’