जानिए, किम जोंग-उन के अचानक चीन जाने के ये हैं मायने

जानिए, किम जोंग-उन के अचानक चीन जाने के ये हैं मायने

उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग-उन का अचनाक चीन का दौरा और वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलना दुनिया को हैरान करने वाला है। किम जोंग-उन के इस दौरे से ये भी पता चलता है कि उसके एकमात्र सहयोगी चीन से उत्तर कोरिया का कितना गहरा संबंध है। उत्तर कोरिया का अमेरिका और दक्षिण कोरिया के साथ प्रस्तावित शिखर सम्मेलन से पहले इस मुलाकात को अहम माना जा रहा है।जानिए, किम जोंग-उन के अचानक चीन जाने के ये हैं मायने

 

लोगों की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि इस मुलाकात के बाद उनका अगला कदम क्या होगा और विश्व राजनीति पर इसका क्या असर पड़ेगा। वो बताते हैं कि उत्तर कोरिया पर लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों पर शी जिनपिंग की सहमति के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी। लाउरा बिकर कहते हैं, “पिछले साल उत्तर कोरिया ने प्योंगयांग की यात्रा पर आ रहे चीनी दूत को वापस भेज दिया था। इन सब के बावजूद चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा और लंबे समय तक उसका सहयोगी भी।”

लाउरा आगे कहते हैं, “अगर आप विश्व की तरफ बढ़ रहे हैं तो आपके साथ कोई तो होना चाहिए।” “उत्तर कोरिया के युवा नेता ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से मिलने जा रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रपति शी जिनपिंग खुद को तिरस्कृत महसूस कर रहे थे।”

किम जोंग-उन का चालाक फैसला

वो मानते हैं कि किम जोंग-उन अपनी पत्नी के साथ पहली विदेश यात्रा कर इसकी भरपाई करने में सफल रहे। हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने नए विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और जॉन बोल्टन की नियुक्ति की थी। ऐसे में किम जोंग-उन का चीन जाना उनका एक चालाकी भरा फैसला है। लाउरा कहते हैं कि वो शायद इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अमेरिका के साथ उनकी बातचीत का अंत सुखद न हो, इसलिए वो पहले यह संदेश देना चाहते थे कि उनके साथ ताकतवर चीन खड़ा है।

एक अनुमान के मुताबिक उत्तर कोरिया के विदेशी व्यापार में चीन का हिस्सा 90 फीसदी तक का है। चीन खाने-पीने की चीजें, तेल और औद्योगिक उपकरण का सबसे बड़ा निर्यातक है। जब भी उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध बढ़े हैं, चीन ने उत्तर कोरिया की मदद की है। लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान दोनों देशों के बीच रिश्ते बदले हैं। चीन ने पिछले साल यह घोषणा की थी कि वो उत्तर कोरिया से आयात होने वाले कोयले में कमी लाएगा। निर्यात के मामले में उत्तर कोरिया सबसे अधिक कोयला बेचता है।

परमाणु हथियार पर दोनों देशों का रुख

वहीं, चीन के बीबीसी संवाददाता स्टीफन मैकडोनल मानते हैं कि दोनों नेताओं की मुलाकात चौंकाने वाली है। वो कहते हैं, “चीनी मीडिया ने दोनों नेताओं के लिए जो टिप्पणियां की हैं, वो अगर सच है तो यह चौंकाने वाला है।” वो बताते हैं कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किम जोंग-उन ने शी जिनपिंग से कहा कि दोनों देशों के बीच जो स्थिति पनप रही थी, उससे उन्हें यह महसूस हुआ कि वो खुद बीजिंग पहुंचें।

शी जिनपिंग ने कहा कि चीन अपने लक्ष्य पर कायम है कि प्रायद्वीप में परमाणु हथियार नष्ट हो। इस पर किम जोंग-उन ने प्रतिक्रिया दी कि यह उनकी प्रतिबद्धता है कि वो परमाणु हथियार नष्ट करेंगे। यह सुनने में थोड़ा अजीब लगे पर इसके पीछे कई कारण हैं। वो इस बात पर बहस कर सकते हैं कि अगर उत्तर कोरिया सुरक्षित महसूस कर रहा है तो ऐसे हथियारों की जरूरत क्या है।

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