चीनी, नमक, मैदा, सफेद चावल और गाय का पॉस्चराइज्ड दूध ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें पोषकता बिल्कुल नहीं होती है। इन्हें खाने से काफी नुकसान होता है। हां, थोड़ी मात्रा में नमक का सेवन हमारे लिए जरूरी है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। इन पांचों का रंग सफेद होता है। इसलिए इन्हें व्हाइट पॉइजन यानी सफेद जहर भी कहते हैं।
कई खाद्य पदार्थ सेहत को लाभ नहीं, बल्कि नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें चीनी, नमक, मैदा जैसी चीजें शामिल हैं, जिन्हें विशेषज्ञ व्हाइट पॉइजन की संज्ञा देते हैं। ये किस तरह सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं, जानकारी दे रहे हैं मनोज कुमार शर्मा
चीनी
चीनी को ‘फूडलेस फूड’ कहा जाता है। कैलरी के नाम पर यह खाली तो होती ही है, कोई विटामिन या मिनरल्स भी नहीं होते, जो हमारे लिए आवश्यक हैं। चीनी का अधिक मात्रा में सेवन करने से मोटापे और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से आगे चलकर हार्ट अटैक, कैंसर, ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
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क्यों है हानिकारक सफेद चीनी
सफेद चीनी को रिफाइंड शुगर भी कहा जाता है। इसे रिफाइन करने के लिए सल्फर डाई ऑक्साइड, फास्फोरिक एसिड, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड और एक्टिवेटेड कार्बन का उपयोग किया जाता है। रिफाइनिंग के बाद इसमें मौजूद विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन, एंजाइम्स और दूसरे लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, केवल सूक्रोज ही बचता है
और सूक्रोज की अधिक मात्रा शरीर के लिए घातक होती है।
इनसे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
चीनी की अधिकता के कारण मेटाबॉलिज्म से संबंधित रोग जैसे कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर, इंसुलिन रेजिस्टेंस और उच्च रक्तचाप हो जाते हैं।
चीनी के अधिक सेवन से पेट पर वसा की परतें अधिक मात्रा में जमती हैं।
इसके कारण मोटापा, दांतों का सड़ना, डायबिटीज और इम्यून सिस्टम खराब होने जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
इसका अधिक सेवन शरीर में कैल्शियम के मेटाबॉलिज्म को गड़बड़ा देता है। चीनी बालों, हड्डियों, रक्त और दांतों से कैल्शियम को सोख लेती है।
अधिक मात्रा में चीनी हमारे पाचन तंत्र को भी प्रभावित करती है।
शरीर में विटामिन बी की कमी हो जाती है और तंत्रिका तंत्र पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
रिफाइंड शुगर के कारण मस्तिष्क में रासायनिक क्रियाएं होती हैं, जिससे सेरेटोनिन रसायन का स्राव हो सकता है, जो हमें अच्छा अनुभव करवाता है, लेकिन थोड़ी देर बाद ही हम थका हुआ, चिड़चिड़ा और अवसादग्रस्त अनुभव करते हैं।
क्या हैं इसके विकल्प
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को प्राकृतिक रूप से मीठी चीजों जैसे फलों आदि का सेवन करना चाहिए। स्वस्थ लोगों को भी चीनी के बजाय गुड़, शहद, खजूर, फलों, फलों का जूस आदि का सेवन करना चाहिए। शहद चीनी का सबसे बेहतर प्राकृतिक विकल्प है। इसमें केवल फ्रुक्टोज या ग्लुकोज नहीं होता है, बल्कि कई मिनरल्स और विटामिन्स भी होते हैं।
नमक
कई लोग स्वास्थ्य से ज्यादा स्वाद को महत्व देते हैं। उन्हें नमकीन और मसालेदार चीजों का स्वाद कुछ ज्यादा ही भाता है, लेकिन ये चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ा देती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नमक यानी टेबल सॉल्ट प्रतिदिन 5 ग्राम से कम ही लेना चाहिए।
नमक से बढ़ता खतरा
सामान्य मात्रा में नमक का सेवन हमारे शरीर के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक है, लेकिन अधिक मात्रा में नमक का सेवन गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है। अधिक नमक खाने से हाइपर टेंशन और हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है। लगातार हाइपर टेंशन के बने रहने से हृदय रोग, स्ट्रोक और गुर्दे की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती हैं। ज्यादा नमक खाने से रक्त में आयरन की मात्रा कम हो जाती है और इससे पेट में एसिडिटी बढ़ जाती है, जिससे भूख नहीं लगने पर भी भूख का एहसास होता है। इससे हम अधिक मात्रा में कैलरी का सेवन करते हैं जिससे मोटापा बढ़ता है।
नमक का सेवन कैसे करें कम
भोजन में अधिक नमक न खाएं।
नमकीन स्नैक्स कम से कम खाएं।
दही में नमक न डालें।
तला हुआ भोजन कम खाएं।
सलाद बिना नमक के खाएं।
पापड़, चटनी और प्रोसेस्ड फूड कम खाएं।
जो लोग हृदय, किडनी या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित हैं, वे कम सोडियम वाला नमक खाएं या अपने डॉक्टर की सलाह लें।
मैदा
मैदा यूं तो गेहूं से ही बनता है, लेकिन प्रोर्सेंसग के दौरान इसके सभी पोषक तत्व निकल जाते हैं। इसके अलावा मैदे से बनी चीजों को प्रिजर्व करने के लिए जो रसायन इस्तेमाल किए जाते हैं, वे भी शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।
इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
मैदे को ‘ग्लू ऑफ गट्स’ कहते हैं। इसमें फाइबर बिल्कुल नहीं होते हैं, जिससे पाचन तंत्र जाम हो जाता है। पाचन धीमा होने के कारण, मेटाबॉलिज्म भी धीमा पड़ जाता है। इस कारण वजन बढ़ता है, तनाव, सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या की आशंका बढ़ जाती है। दरअसल, गेहूं से मैदा बनाने की प्रोर्सेंसग के दौरान चोकर को अलग कर लिया जाता है, जो पाचन के लिए बहुत जरूरी होता है। मैदे का सेवन करने से बुरे कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) का स्तर भी बढ़ जाता है, जिस कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटीज, उच्च रक्त चाप आदि हो जाती हैं।
क्या हैं विकल्प
मैदे को कम मात्रा में कभी-कभी खा सकते हैं। इसके अधिक सेवन से बचें और स्वस्थ विकल्प चुनें। समोसे मैदे के बजाय आटे से बनाएं। नान बनाने के लिए एक भाग गेहूं का आटा लें और एक भाग ज्वार और बाजरा का आटा मिलाएं। आटे से बनी ब्रेड, नूडल्स, पास्ता और मैक्रोनी का सेवन करें। आजकल मार्केट में ये आसानी से उपलब्ध भी हैं। आटे से आप ऐसी अनेक खाने की चीजें बना सकते हैं, जिन्हें कुछ दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
सफेद चावल को रिफाइंड ग्रेन या रिफाइंड कार्ब कहते हैं। रिफाइनिंग के दौरान इसमें से भूसा और ब्रान को निकाल लिया जाता है, जिससे विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, आयरन और फाइबर निकल जाते हैं। व्हाइट राइस को आकर्षक बनाने के लिए की गई पॉलिश से पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
व्हाइट राइस के दानों में एंडोस्पर्म होते हैं, जो शुद्ध स्टार्च होते हैं। मेडिकल जगत में स्टार्च को हानिकारक माना जाता है, जो इंसुलिन का स्तर बढ़ा देता है। इन्हें खाने से रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जो डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देता है।
क्या है विकल्प
जितना संभव हो, ब्राउन राइस का सेवन करें। इसमें फाइबर और दूसरे पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। ब्राउन राइस पर ब्रान होता है। ब्रान फाइबर का अच्छा स्रोत है। इसमें विटामिन बी12, मिनरल्स और एमिनो एसिड भी होते हैं।