फाल्गुन माह में पड़ने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं. यह हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या भी होती है. फाल्गुन अमावस्या महाशिवरात्रि के पर्व के बाद आता है. हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिये फाल्गुनी अमावस्या का अपना विशेष महत्व है.

इस दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिये दान, तर्पण और श्राद्ध करते हैं. इस बार फाल्गुन अमावस्या 23 फरवरी, रविवार के दिन पड़ रही है. इस दिन धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
मान्यता है कि मृत्यु के बाद आत्माएं पितृ लोक पहुंचती हैं. यह आत्माओं का अस्थायी निवास होता है और जब तक उनके भाग्य का अंतिम फैसला नहीं होता उन्हें वहीं रहना पड़ता है. इस दौरान उन्हें बहुत पीड़ा सहनी पड़ती है क्योंकि वे स्वयं कुछ भी ग्रहण करने में समर्थ नहीं होते हैं.
अमावस्या के दिन इन आत्माओं के वंशज, सगे-संबंधी या कोई परिचित उनके लिये श्राद्ध, दान और तर्पण करके उन्हें आत्मशांति दिला सकते हैं. पितरों की शांति के लिये किये जाने वाले दान, तर्पण, श्राद्ध आदि के लिये यह दिन बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है.
फाल्गुन अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ– 19:04:19 बजे (22 फरवरी )
अमावस्या तिथि समाप्त– 21:03:12 बजे (23 फरवरी)
फाल्गुन अमावस्या पर सूर्य देवता को ऐसे करें प्रसन्न
– कुंडली में लग्न और आरोग्यता का कारक सूर्य को मानते हैं.
– सूर्य की विधि विधान से पूजा करके हम बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं.
– फाल्गुन अमावस्या पर रविवार का उपवास रखें और इस दिन नमक का सेवन न करें.
– रोज सुबह के समय सूर्य चालीसा का पाठ करें.
– भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप सुबह के समय घी का दीपक जलाकर करें.
– अगर पित्र दोष ज्यादा ही समस्या दे रहा हो तो लाल मीठी चीजों का दान करें.
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