बीस रुपये का सिक्का या फिर नोट, आखिर सिक्का नोट पर ‘इक्कीस’ पड़ा और अब करेंसी की जगह बीस का सिक्का जारी होगा। यही नहीं भारत सरकार एक रुपये से लेकर दस रुपये तक के सभी सिक्कों का कलेवर भी बदलने जा रही है।
इन सिक्कों के प्रोटोटाइप यानी डिजाइन तैयार हो गए हैं, जिन्हें फाइनल करने के लिए 16 जनवरी को दिल्ली में बैठक होगी। इसमें भारतीय सिक्का अधिनियम 2011 के तहत वैधानिकता के संबंध में अहम निर्णय होंगे। सिक्के इस प्रकार ढाले जाएंगे कि नेत्र दिव्यांग इन्हें आसानी से पहचान सकें।
माना जा रहा है कि कागज की खपत को देखते अभी सिक्कों को ही जारी किया जाएगा। — 2011 में आया था रुपये का चिह्न भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (सिक्युरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड) ने इससे पहले वर्ष 2011 में सिक्कों की डिजाइन में बदलाव किया था। इसे ‘भारतीय सिक्कों की नई श्रृंखला 2011’ कहा गया था।
तब 50 पैसे से लेकर दस रुपये तक, सभी सिक्कों में रुपये का चिह्न शामिल किया गया था। समाजिकता का संदेश देंगे नए सिक्के नए कलेवर के सिक्के समाजिकता का संदेश भी देंगे। इन सिक्कों में भारत सरकार द्वारा चलाए गए सामाजिक सरोकार के अभियानों को शामिल किया है।
इनका चिह्नांकन संभावित – नारी सशक्तीकरण या बेटी बचाओ – डिजिटल इंडिया – सिक्योरिटी डेवलेपमेंट – एग्रीकल्चर बाजार में 26 हजार करोड़ रुपये के सिक्के भारतीय बाजार इस समय सिक्कों के बोझ तले दबा हुआ है। मार्च 2018 तक भारतीय बाजार में कुल 25,600 करोड़ रुपये के सिक्के प्रचलित थे, जिनके मार्च 2019 तक बढ़कर 26 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
विशेषज्ञों से लिए जाते हैं सुझाव भारत सरकार से जुड़ी शेप एंड साइज संस्था सिक्कों की डिजाइन के बारे में विशेषज्ञों से सुझाव लेती है। इन कमेटियों में मुद्रा, कला, विज्ञान, संस्कृति और समाज से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होते हैं। इसके अलावा नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिजाइन (एनआइडी) से भी सुझाव लिए जाते हैं। माना जा रहा है, नए सिक्कों की डिजाइन में एनआइडी अहमदाबाद ने अहम सुझाव दिए हैं।