ट्रेन के हॉर्न की बात करते ही दिमाग में प्लेटफॉर्म पर खड़े होने जैसी फीलिंग आने लगती है। अगर ट्रेन धीरे आ रही है तो यात्री अपने सामान के साथ मुस्तैदी से खड़े हो जाते हैं। जिनके पास रिजर्वेशन है वो अपनी सीट ढूंढता है और जिसके पास रिजर्वेशन का टिकट नहीं है वो बैठने का जुगाड़ ढूंढता है। लोगों का ट्रेन के साथ अपना-अपना एक्सपीरियंस होता है।बहरहाल हम आपको ट्रेनों की हॉर्न से जुड़ी दिलचस्प जानकारी दे रहे हैं।
क्यों बजाए जाते है 9 तरह के हॉर्न:
# एक शॉर्ट हॉर्न: इसका मतलब ट्रेन यार्ड में आ गई है और उसकी सफाई का वक्त भी हो गया है।
# दो शॉर्ट हॉर्न: इसका मतलब ट्रेन चलने के लिए तैयार है।
# तीन शॉर्ट हॉर्न: इसका मतलब है कि लोकोपायलट का कंट्रोल इंजन से छूट चुका है। ये हॉर्न ट्रेन के गार्ड के लिए एक संकेत है कि वो वैक्यूम ब्रेक से ट्रेन को रोके।
# चार शॉर्ट हॉर्न: इसका मतलब है कि ट्रेन में तकनीकी खराबी है और ट्रेन इससे आगे जाने की स्थिति में नहीं है।
# दो छोटे और एक बड़ा हॉर्न: ऐसा हॉर्न दो स्थिति में बजते हैं। या तो किसी ने चेन पुलिंग की है या फिर गार्ड ने वैक्यूम प्रेशर ब्रेक लगाए हैं।
# लंबा बजने वाला हॉर्न: अगर ट्रेन लगातार हॉर्न बजा रही है तो इसका मतलब है कि वो प्लेटफॉर्म पर नहीं रुकेगी।
# दो बार रुक–रुक कर बजने वाला हॉर्न: ये हॉर्न किसी क्रॉसिंग के करीब आने पर बजाया जाता है ताकि कोई रेलवे क्रॉसिंग के आस-पास न आ सके।
# दो लंबे और एक छोटा हॉर्न: ऐसा हॉर्न तब बजाया जाता है जब ट्रेन अपना ट्रैक चेंज करती है।
# छ: बार छोटे हॉर्न: ऐसा हॉर्न तब बजाया जाता है जब लोकोपायलट को किसी खतरे का आभास होता है।