दिल्ली हाईकोर्ट से जिस भव्य विदाई के साथ जस्टिस मुरलीधर वहां से रवाना हुए उसी भव्यता से उनका पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जोरदार स्वागत किया गया। दिल्ली हाई कोर्ट से स्थानांतरित होकर आए जस्टिस मुरलीधर ने शुक्रवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ली। हाई कोर्ट केे इतिहास में पहली बार किसी नवनियुक्त जज का इतनी भव्यता से स्वागत किया गया। वकील उनके साथ सेल्फी लेने का मौका तलाशते रहे।
बता दें, जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली हिंसा पर आधी रात को सुनवाई की थी। 27 फरवरी को उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में आखिरी सुनवाई की थी। इसके बाद उनका तबादला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया था। वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट चीफ जस्टिस रवि शंकर झा के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश होंगे।
जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 12 फरवरी को अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी। जिस पर पिछले सप्ताह राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद पिछले सप्ताह उनके स्थानांतरण के आदेश जारी कर दिए गए थे।
दिल्ली में हाल ही में हुई हिंसक वारदातों के मामले में जस्टिस एस मुरलीधर द्वारा केंद्र सरकार को लगाई गई कड़ी फटकार के तुरंत बाद उनके स्थानांतरण के आदेश जारी होने पर न्यायिक गलियारों में काफी बवाल हुआ था। दिल्ली में वकीलों ने भी जस्टिस मुरलीधर के तबादले की सिफारिश का कड़ा विरोध किया था।
देश में न्याय एवं कानून व्यवस्था पर ‘लॉ, पॉवर्टी एंड लीगल ऐड: एक्सेस टू क्रिमिनल जस्टिस’ नाम की पुस्तक लिखने वाले जस्टिस मुरलीधर को दिल्ली यूनिवर्सिटी ने पीएचडी की डिग्री प्रदान की थी।
वर्ष 1984 में चेन्नई से पेशेवर के तौर पर वकालत का आरंभ करने वाले जस्टिस मुरलीधर ने वर्ष 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत शुरू का थी। भोपाल गैस कांड के पीडि़तों और नर्मदा आंदोलन के विस्थापितों के लिए उन्होंने अपनी मुफ्त सेवाएं दी थी। उन्हें मई, 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति मिली थी।
आधी रात को की थी सुनवाई
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में हुई व्यापक हिंसा में घायलों को सुरक्षा और बेहतर इलाज के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में रहते हुए जस्टिस मुरलीधर के घर आधी रात को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिए थे कि वह मुस्तफाबाद के एक अस्पताल से एंबुलेंस को सुरक्षित रास्ता दिलाए और मरीजों को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट कराए। इसके बाद जस्टिस मुरलीधर चर्चाओं में आए थे।