सावन का महीना भोलेनाथ का महीना कहा जाता है क्योंकि इस महीने में भोले बाबा का पूजन कर उन्हें खुश किया जा सकता है. ऐसे में सावन के महीने में शिवालयों में शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि रुद्राभिषेक और जलाभिषेक के क्या नियम है. अगर आप भी नहीं जानते हैं तो आज यहाँ जान लीजिए.

1. कहा जाता है भगवान शिव का रुद्राभिषेक या जलाभिषेक करते समय कभी भी तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
2. आप नहीं जानते होंगे जलाभिषेक केवल शिवलिंग का होता है लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो शिवलिंग के साथ-साथ गणेश, कार्तिक, गौरी आदि की मूर्तियों का भी जलाभिषेक करते हैं जो नहीं किया जाना चाहिए.
3. कहा जाता है मंदिर में कभी भी पूजा या अर्चना करते वक्त शिवलिंग को छूना नहीं चाहिए.
4. कहते हैं शिव भगवान का जलाभिषेक या रुद्राभिषेक उचित मंत्रोच्चार के साथ करने से ही लाभ होता है.
5. आपको बता दें कि भगवान शिव पर चढ़ाई गई सामग्री, द्रव्य, वस्त्र आदि पर सिर्फ पूजा अनुष्ठान करवाने वाले का अधिकार मान्य होता है ना कि किसी अन्य का।
6. कहा जाता है शिवजी की पूर्ण परिक्रमा कभी नहीं करना चाहिए.
7. आप नहीं जानते होंगे शिव के शिवालय में जाने से पूर्व आचमन से शुद्धि कर लेना जरुरी माना आज्ञा है.
8. कहते हैं मंदिर में किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं करना चाहिए.
9. आपको बता दें कि मंदिर में 12 से 4 के बीच कभी नहीं जाना चाहिए.
10. कहा जाता है भगवान के मंदिर में खड़ाऊं या सवारी पर चढ़कर जाना, या खड़े-खड़े प्रदक्षिणा करना, आरती के समय उठकर चले जाना, प्रसाद ग्रहण न करना, मंदिर से बाहर निकलते वक्त भगवान को पीठ दिखाकर बाहर निकलना, गलत होता है.
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