कभी भी परोसे गए भोजन की बुराई नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने पर भोजन का अपमान होता है और उससे हमें शारीरिक ऊर्जा प्राप्त नहीं हो पाती है। सेहत और लंबे जीवन के लिए जरूरी है कि हम अच्छा खाना ग्रहण करें। खाने के संबंध में ग्रंथों में भी कई नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने पर स्वास्थ्य लाभ के साथ ही धर्म लाभ भी मिलते हैं।

यदि कोई व्यक्ति सभी को बता-बताकर आपको खाना खिलाए तो ऐसा भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
हम जब भी खाना खाएं, तब हमारा मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। ये दिशाएं भोजन के लिए शुभ मानी गई हैं।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसे भोजन से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
यदि हम हमेशा ही पश्चिम दिशा की ओर मुख करके खाना खाते हैं तो रोगों की वृद्धि होती है।
खाना खाने से पहले हमें अपने पांच प्रमुख अंगों (दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख) को अच्छी तरह धो लेना चाहिए। इसके बाद भी भोजन करना चाहिए।
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भोजन करने से पहले अन्न देवता और अन्नपूर्णा माता का ध्यान करना चाहिए। उन्हें नमन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। साथ ही, ऐसी प्रार्थना करें कि सभी भूखों को भी ईश्वर भोजन प्रदान करें।
व्यक्ति को हमेशा शुद्ध मन और शुद्ध शरीर से भोजन पकाना चाहिए। यदि संभव हो तो भोजन बनाने से पहले देवी-देवताओं के मंत्रों का जाप भी करना चाहिए।
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