पुलवामा यानि ‘राइस बाउल ऑफ कश्मीर’ भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य का कृषि से समृद्ध जिला है। पूर्व में पुलवामा ‘पनवंगम’ या ‘पुलगाम’ के रूप में जाना जाता था, पुलवामा पर 16वीं शताब्दी में मुगलों द्वारा शासन किया गया था जबकि 19वीं शताब्दी में अफगानों ने सत्ता संभाली थी। पुलवामा में बसे कुछ सुरम्य और दर्शनीय स्थान पहाड़ों, प्राचीन झरनों और अद्वितीय घाटियों से घिरे हैं। आपको पुलवामा में मंत्रमुग्ध करने वाले नज़ारे देखने को मिलेंगे।

कैसे पहुंचे पुलवामा वायु मार्ग द्वारा: पुलवामा का निकटतम हवाई अड्डा श्रीनगर में स्थित है जो कि इस शहर से लगभग 37 किमी की दूरी पर है। हवाई अड्डे से नियमित कैब सेवाएं उपलब्ध हैं। रेल मार्ग द्वारा: निकटतम रेलहेड शहर से 281 किमी की दूरी पर जम्मू शहर में स्थित जम्मू तवी रेलवे स्टेशन है। सड़क मार्ग द्वारा: पुलवामा सड़कों के माध्यम से भारत के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शहर के केंद्र में स्थित बस टर्मिनल से बस सेवा उपलब्ध है। अगर आप सड़क से यात्रा करना चाहते हैं तो खुद अपनी गाड़ी या किराए पर वाहन लेकर पहुंच सकते हैं। पुलवामा आने का सही समय
साल भर मौसम सुहावना बना रहता है जिससे साल में किसी भी समय पर्यटक पुलवामा घूमने आ सकते हैं। यहां का तापमान औसतन 15 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।पुलवामा के दर्शनीय स्थल

अवंतीश्वर मंदिर
पुलवामा जिले का अवंतीश्वर मंदिर ऐतिहासिक और श्रद्धेय तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित है एवं 9वीं शताब्दी ईस्वी में राजा अवंति वर्मा द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था। झेलम नदी के तट पर स्थित अवंतीश्वर मंदिर का रखरखाव पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत है। इस मंदिर की दीवारें प्राचीन मिथकों, लोक कथाओं और देवताओं की जटिल विस्तृत नक्काशी से सजी हैं। इस मंदिर में दुनिया भर के पर्यटक और भक्त दर्शन करने आते हैं। पुलवामा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

अहरबल झरना
पुलवामा जिले में कई लहरदार झरने हैं जिनमें से एक अहरबल जलप्रपात है। पुलवामा आने पर इस झरने को देखना बहुत जरूरी है क्योंकि इसका प्राकृतिक सौंदर्य आपके दिल में बस जाएगा। पीर पंजाल पर्वत श्रृंखलाओं में घने पाइन और देवदार के पेड़ों से घिरी घाटी में एक संकरी घाट से 25 मीटर की ऊंचाई पर तेजी से बहने वाला झरना पर्यटकों को खूब पसंद आता है। घने जंगल से निकलती धाराएं चांदी सी प्रतीत होती हैं।

पयेर मंदिर
इसे स्थानीय रूप से पयेक मंदिर के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर को 10वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस मंदिर को एकल पत्थर से बनाया गया है। इसकी वास्तुकला में विशिष्टता अभी भी इसके अतीत के गौरव को दर्शाती है। घने जंगल से घिरा यह मंदिर श्रद्धालुओं को विस्मय कर देता है

शिकारगढ़
एक समय पर देश के रईस इस जगह पर शिकार करने आया करते थे। जम्मू और कश्मीर राज्य के अंतिम शासक द्वारा शिकारगढ़ क्षेत्र का विस्तार किया गया था एवं यह जगह वन्यजीवों और वनस्पतियों से भरी हुई है। यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ है और समुद्रतल से यह 2130 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वस्तूरवान और खेरवों पहाड़ों के शिखर पर स्थित शिकारगढ़ स्थानीय लोगों के लिए एक पिकनिक स्थल के रूप में मशहूर है।
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