जब भी ऋषभ पंत को खेलते देखते हैं तो लगता है कि जैसे बाएं हाथ से सहवाग बैटिंग कर रहे हों : इंज़माम उल हक

पूर्व पाकिस्तानी कप्तान इंज़माम उल हक ने ऋषभ पंत के बैटिंग स्टाइल को वीरेंद्र सहवाग जैसा बताया है. इंजमाम ने कहा कि इन दोनों ही बल्लेबाज़ों को बैटिंग के वक्त कंडीशन्स से फर्क नहीं पड़ता.

पूर्व पाकिस्तानी कप्तान ने ये भी कहा कि वो जब भी पंत को खेलते देखते हैं तो लगता है कि जैसे बाएं हाथ से सहवाग बैटिंग कर रहे हों.

ऋषभ पंत को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहले टेस्ट में मौका नहीं मिला था. लेकिन साहा के आउट ऑफ फॉर्म होने के बाद उनकी टीम में वापसी हुई और तब से पंत एक के बाद एक कई मैच टर्निंग पारियां खेल चुके हैं. फिर चाहे वो बात सिडनी और ब्रिस्बेन टेस्ट की हो या फिर इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद टेस्ट की.

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के चौथे मैच में शतक लगाकर ऋषभ पंत ने क्रिकेट जगत में खूब वाहवाही बटोरी है। पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इंजमाम-उल-हक ने कहा कि उन्होंने ऐसे बहुत कम खिलाड़ी देखें हैं जो खुद पर बिलकुल दबाव नहीं लेते।

इतना ही नहीं इंजमाम ने यहां तक कहा कि पंत बल्लेबाजी देखकर उन्हें ऐसा लगता है जैसे वीरेंदर सहवाग बाएं हाथ से बल्लेबाजी कर रहे हों। इंजमाम ने कहा कि सहवाग की ही तरह पंत पर भी दबाव का कोई असर नहीं होता।

इंजमाम ने कहा, ‘ऋषभ पंत एकदम शानदार। काफी वक्त बाद ऐसा खिलाड़ी देखा है जिसे प्रेशर से कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर 146 रन पर छह विकेट पर गिर चुके हैं, वह अपना गेम खेलेगा। जिस तरह वह अपनी पारी की शुरुआत करते हैं, कोई दूसरा नहीं करता। वह हमेशा अपने शॉट खेलते हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पिच कैसी है और सामने वाली टीम ने क्या स्कोर बनाया है।’

इंजमाम ने आगे कहा, ‘वह स्पिनर्स और तेज गेंदबाजों दोनों को बहुत अच्छा खेलते हैं। मुझे उनका खेल देखने में बहुत मजा आता है। ऐसा लगता है जैसे वीरेंदर सहवाग बाएं हाथ से बैटिंग कर रहे हों।’

इंजमाम उस समय पाकिस्तान के कप्तान थे जब वीरेंदर सहवाग ने मुलतान में 309 रन की धमाकेदार पारी खेली थी। इस पारी के बाद ही उन्हें मुलतान का सुलतान कहा जाने लगा था। इंजमाम ने पंत और सहवाग की बल्लेबाजी में समानता बताते हुए कहा।

‘मैं सहवाग के खिलाफ खेला हूं। उसे भी बल्लेबाजी करते हुए बाकी चीजों से फर्क नहीं पड़ता था। पिच कैसा खेल रही है और सामने का गेंदबाजी आक्रमण कैसा है, सहवाग इससे बेफिक्र रहते थे। वह सिर्फ अपने शॉट खेलते थे। सारे फील्डर्स अगर बाउंड्री पर हों और सहवाग को लगे कि वह मैदान के बाहर मार सकते हैं तो वह ऐसा जरूर करने की कोशिश करते थे।’

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