आज जब भी भारतीय टीम का ऐलान होता है, उसमें सलामी बल्लेबाज शिखर धवन का नाम सबसे पहले लिखा जाता है. खास तौर पर वनडे में तो वो टीम के प्रमुख बल्लेबाजों में से एक हैं. लेकिन धवन की जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आया था जब उन्होंने नाउम्मीदी में क्रिकेट छोड़ने का फैसला कर लिया था. आपको बताते हैं वो खास किस्सा-
यह बात 2001 की है. दुनिया भर के गेंदबाजों की धुनाई करने वाले शिखर धवन ने तब क्रिकेट छोड़ने को मन बना लिया था. उस समय वो दिल्ली की अंडर- 16 टीम का हिस्सा थे और उनको दिल्ली की टीम से ड्रॉप कर दिया था.
धवन ने खुद इस बात का खुलासा किया है. उन्होंने सोचा था कि कुछ और कर लेंगे. शिखर ने जूते की कम्पनी में काम करना भी शुरू कर दिया था. वहां उनका काम जूते का डब्बा पकड़ कर खड़ा रहना होता था. हालाँकि, उन्होंने सिर्फ दो- तीन दिन ही वहां काम किया.
धवन ने कहाथा, “‘मेरे मौसाजी का बॉक्स (जैसे जूतों का बॉक्स) बनाने का बिजनेस है. उनकी फैक्टरी बहादुरगढ़ में है. मैं वहां जॉब के लिए चला गया. मैने उस कंपनी में काम करना शुरू किया और वहीं मेरा काम सेल्समैन के साथ बॉक्स पकड़कर खड़े रहने का होता था.”
लेकिन धवन की किस्मत में क्रिकेट ही लिखा था. दो-तीन दिन बाद वो वापस मैदान पर लौट आए. दोबारा जमके मेहनत की. आज वो वऩडे में 5 हजार रन बनाने वाले दूसरे सबसे तेज बल्लेबाज हैं.