महाराष्ट्र में बीड़ जिले की परभणी तहसील के एक छोटे से गांव डुकरे के उत्थान की कहानी जरा हट के है। विगत 15 वर्षों से यहां की ग्राम पंचायत महिला पंचों के द्वारा संचालित की जा रही है। राजनीति से दूर समाज के लिए ही काम का संकल्प लेने वाले मानव अधिकार अभियान के एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता एकनाथ आव्हाड़ का अशिक्षित धर्मपत्नी जीजीबाई उर्फ गयाबाई एकनाथ आव्हाड़ ही पिछले पंद्रह वर्षों से इस गांव की सरपंच है।
एकनाथ के सरपंच न बनने के संकल्प की वजह से ही गांववालों ने उनकी पत्नी को गांव का सरपंच चुना। तीन बच्चों की अशिक्षित मां ने परिवार नियोजन के ऑपरेशन के बाद ही पढ़ने का दृढ़ संकल्प लिया और शिक्षित होने के बाद दूसरों को शिक्षित बनाने का फैसला किया। गयाबाई की सरपंची वाले इस गांव में आदर्श शाला भवन, सामान्य सुविधावाला हॉस्पिटल, पक्की सड़कें, जल के लिए घरों में नल की व्यवस्था और बिजली की व्यवस्था है। इस गांव की एक विशेषता यह भी है कि आरक्षण न होने के बावजूद यहां पर सभी महिला पंच समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है।
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