छत्तीसगढ़ में कुलपति की नियुक्ति को लेकर राजभवन और सरकार के बीच बढे टकराव के आसार

छत्तीसगढ़ में कुलपति की नियुक्ति को लेकर राजभवन और सरकार के बीच टकराव के आसार बढ़ गए है। राजभवन ने बीते दो दिनों में राज्य के दो विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति का आदेश जारी किया है। दोनों ही नवनियुक्त कुलपति राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि के बताए जाते हैं। माना जा रहा है कि राजभवन ने सरकार की राय के बिना ही दोनों नियुक्तियां की हैं। इस वजह से सरकार इससे नाखुश है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि इस मुद्दे पर काफी चर्चा हुई है, हमारी राय अलग थी। उन्होंने (राज्यपाल) अपना काम कर लिया अब हम अपना काम करेंगे। इसके साथ ही इस बात की चर्चा गर्म हो गई है कि सरकार कुलपति की नियुक्ति के लिए नए नियम बनाने की तैयारी में है।

प्रोफेसर बलदेव भाई को ठाकरे विवि की कमान

राजभवन ने प्रोफेसर बलदेव भाई शर्मा को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय का नया कुलपति बनाया गया है। प्रो. बलदेव अभी हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष हैं।

पांच साल के लिए बढ़ाया ओपन यूनिवसिर्टी के कुलपति का कार्यकाल

इसी तरह राजभवन ने पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी बिलासपुर के कुलपति वंश गोपाल सिंह को फिर से पांच साल के लिए कुलपति नियुक्त कर दिया है। इनकी नियुक्ति पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने की थी।

एक साल से अटका था दोनों कुलपतियों का मामला

इन दोनों विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति का मामला करीब एक वर्ष से अटका था। राजभवन ने कुलपति चयन के लिए दो अलग- अलग समितियों का गठन किया था। दोनों समितियां अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी हैं। ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति के लिए समिति ने सात नामों का पैनल बनाया था। इसी तरह कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय के लिए भी छह से अधिक नामों का पैनल बना था।

राजभवन और सरकार के बीच नहीं बन पाई सहमति

सूत्रों के अनुसार दोनों विश्वविद्यालयों के लिए कुलपति चयन को लेकर राज्यपाल अनुसाुईया उइके और सरकार के बीच कई दौर की बात हुई है, लेकिन एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई। इस वजह से मामला लंबे समय से अटका पड़ा था।

अभिभाषण पर सरकार ने टाल दिया था विवाद

इससे पहले राज्यपाल के अभिभाषण में सीएए और एनपीआर को शामिल किए जाने को लेकर विवाद के हालात बने थे, लेकिन सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे। सरकार सीएए और एनपीआर के विरोध में है और इसे राज्यपाल के अभिभाषण में शामिल करना चाहती थी, लेकिन राज्यपाल ने पहले ही इस पर आपत्ति कर दी। सरकार ने भी मामले को तूल देने की बजाए दोनों मुद्दों को छोड़ दिया।

बेहद सक्रिय राज्यपाल

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके बेहद सक्रिय रहती हैं। करीब आठ माह पहले ही उन्होंने राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली है। इसके बाद से राजभवन से आम लोगों से जुड़े मामलों में विभागों को सीधे निर्देश जारी किए जा रहे हैं। राजभवन को प्राप्त होने वाले ज्ञापनों पर भी अफसर लगातार राजभवन तलब किए जा रहे हैं।

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