छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और राज्य के दिग्गज नेता अजीत जोगी को बड़ा झटका लगा है। उनके आदिवासी पहचान को लेकर एक बार फिर सवाल उठा है।

जोगी के आदिवासी होने पर सवाल उठते रहे हैं। इसी संबंध में एक कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी ने जोगी को अनुसूचित जनजाति मानने से इनकार कर दिया। कमेटी ने उनके आदिवासी होने क् दावे को खारिज कर दिया।
कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग राजनीतिक दल बनाने वाले इस दिग्गज नेता ने कमेटी पर सीएम भूपेश बघेल के प्रभाव में काम करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कमेटी के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया। जोगी ने बताया कि यह उच्चाधिकार स्क्रूटनी कमेटी नहीं बल्कि ‘भूपेश बघेल उच्चाधिकार कमेटी’ थी। कमेटी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब जोगी के लिए एसटी के लाभ की पात्रता नहीं होगी। इस रिपोर्ट को पूर्व मुख्यमंत्री के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जाति प्रमाणपत्र के साथ-साथ उनके राजनीतिक कॅरियर पर भी इसका असर पड़ना तय है। जोगी फिलहाल मरवाही सीट से विधायक हैं।
अटकलें लगाए जा रहे हैं कि इस रिपोर्ट के बाद अब यह सीट भी उनके हाथ से जा सकती है। कमेटी की रिपोर्ट पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि पूर्व सीएम जोगी अपने दावे के समर्थन में दस्तावेज और सबूत पेश नहीं कर सके। गौरतलब है कि 2011 में सर्वोच्च अदालत ने छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भाजपा सरकार को पूर्व आईएएस अधिकारी जोगी की जाति का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था।
जून, 2017 में कमेटी ने अपनी जांच में जोगी को आदिवासी नहीं माना। इस निर्णय के खिलाफ जोगी कोर्ट चले गए। जहां हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए उच्चाधिकार स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया। बता दें कि हालिया चुनावों में जोगी कुछ खास नहीं कर सके थे।
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