नवरात्रि का पर्व जल्द आने वाला है। चैत्र मास में पड़ने वाले नवरात्र को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। इस साल पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल चैत्र शुक्त प्रतिपदा तिथि, अश्वनी नक्षत्र, सर्वार्थ और अमृत सिद्धि योग से आरंभ होने जा रही है। जबकि 22 अप्रैल को मघा नक्षत्र और सिद्धि योग नें दशमी के साथ समाप्त होगा। पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। चैत्र नवरात्रि में श्री यंत्र स्थापित करना चाहिए। इससे माता अपने भक्तों को की विशेष कृपा बरसाती है। भगवान शंकराचार्य ने श्री यंत्र की सिद्धि की थी। इसे सबसे ताकतवर यंत्र माना गया है। श्री यंत्र धन, शक्ति और सिद्धि का प्रतीक है। इससे समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है। श्री यंत्र के प्रयोग से गरीबी दूर होती है। साथ ही हर समस्या से छूटकारा मिलता है।
दो प्रकार के होते श्री यंत्र
श्री यंत्र की आकृति दो प्रकार उर्ध्वमुखी और अधोमुखी की होती है। यंत्र की स्थापना करने से पहले पूर्व देख लें। यंत्र को कार्य करने के स्थान, पढ़ने के स्थान और पूजा के स्थान पर लगा सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार जहां भी श्री यंत्र की स्थापना की जाएं, वहां प्रतिदन साफ सफाई और मंत्र जाप करना चाहिए। उर्ध्वमुखी श्री यंत्र का चित्र कार्य स्थल या पढ़ने की जगह लगाना चाहिए।
पूजा में इन फूलों का करें प्रयोग
माता दुर्गा की पूजा में नियमों का विशेष ध्यान रखना होता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा में मोगरा के फूलों का प्रयोग करना चाहिए। वहीं लक्ष्मी देवी को गुलाब और स्थलकमल, मां शारदा को रातरानी और वैष्णों देवी को रजनीगंधा के पुष्प अर्पित करना चाहिए। मां देवी को हमेशा ताजा और शुद्ध फूल ही चढ़ाना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि फूल गंदी जगह से न उगे हो। फूल आधा टूटा या खराब नहीं होना चाहिए।