त्वचा पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो यह मैलानिन नामक पिगमैंट बनाने लगती है और यही त्वचा को सांवला बनाता है. दरअसल, मेलानिन सूर्य की यूवी किरणों के दुष्प्रभाव से हमारी त्वचा को सुरक्षा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और त्वचा में टौक्सिक दवाओं तथा कैमिकल्स से उत्पन्न फ्रीरैडिकल्स को रगड़ कर साफ कर देता है. लेकिन जब मेलानिन का उत्पादन जरूरत से ज्यादा या फिर इस का असमान वितरण होने लगता है तो अधिक मेलानिन उत्सर्जित होने वाले स्थान पर काले धब्बे बन जाते हैं.
स्किनकेयर के अवयव: कई बार हमारे स्किनकेयर उत्पादों में कुछ ऐसे अवयव होते हैं, जिन का त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए स्किनकेयर उत्पाद खरीदते वक्त ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है. यदि आप की त्वचा संवेदनशील है तो कोई भी उत्पाद खरीदने और इस्तेमाल करने से पहले तय कर लें कि उस में किनकिन तत्त्वों का मिश्रण किया है. कुछ महिलाओं की त्वचा की संवेदनशीलता सिट्रिक ऐसिड और रैटिनोइक ऐसिड आधारित अवयवों से भी बढ़ जाती है, जिस कारण उन की त्वचा ज्यादा सांवली हो जाती है.
हारमोन परिवर्तन: हारमोन में परिवर्तन के कारण भी कुछ महिलाओं में मेलानिन का अधिक उत्पादन होने लगता है. यही वजह है कि गर्भनिरोधक गोलियां, जिन से सामान्य हारमोनल उत्पादन में बाधा आती है, खाने वाली महिलाएं सांवली हो जाती हैं. मेलास्मा एक प्रकार का सामान्य पिगमैंटेशन डिसऔर्डर है, जो ज्यादातर गर्भवती महिलाओं में देखा जाता है.
सूर्य की किरणें: सूर्य की रोशनी से बतौर सुरक्षा कवच त्वचा से मेलानिन का उत्पादन होने लगता है. कुछ महिलाओं की त्वचा सूर्य की किरणों में ज्यादा संवेदनशील होती है जबकि कुछ में यह संवेदनशीलता कम होती है. लिहाजा त्वचा को ऐजिंग, सनबर्न तथा सांवलेपन जैसे दुष्प्रभावों से बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना जरूरी है.
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