चीन में जब से कोरोना वायरस फैला है उसके बाद से वहां के घरों में येवै की दावत हुई बंद…

 चीन में जब से कोरोना वायरस फैला है उसके बाद से वहां के घरों में येवै की दावत बंद हो गई। हम आपको बता दें कि चीनी भाषा में येवै शब्द का पूरा मतलब क्या होता है। दरअसल येवै का मतलब होता है जंगली जानवरों का खाना और उनके सूप का टेस्ट।

ये चीन के घर-घर में बोला जाने वाला आम शब्द है मगर बाकी दुनिया के लोगों के लिए ये शब्द एकदम नया है। चीन दुनिया में जंगली जानवरों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है जहां ये व्यापार वैध और अवैध ढंग से चलाया जाता है। दुनिया में जानवरों का अवैध व्यापार 20 अरब डॉलर का है। ये ड्रग्स, मानव तस्करी और नकली सामान के बाद चौथे नंबर पर आता है। एक विश्लेषण बताता है कि जमीन पर चलने वाले हड्डीधारी वन्यजीवों की कुल 32 हजार प्रजातियों में से 20 फीसदी प्रजातियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में वैध और अवैध ढंग से खरीदा-बेचा जा रहा है।

येवै में मिलती है इन चीजों की दावत 

येवै की दावत में चीन में अजीबोगरीब तरह की चीजें शामिल होती हैं। इनमें भुना हुआ कोबरा सांप, भालू के भुने हुए पंजे, बाघ की हड्डियों से बनी शराब जैसी डिश महंगे रेस्त्राओं में पाई जा सकती है। इसके अलावा भी कई जंगली जानवरों के सूप और अन्य चीजें यहां के बाजारों में मिल जाती है। जो लोग बाजार में जाकर किसी रेस्त्रा में इनका मजा नहीं ले पाते हैं वो इन जानवरों को अपने घरों में लाकर ही इनका सूप आदि तैयार करते हैं। कई बार सार्वजनिक समारोहों में भी इस तरह के सूपों की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा कई बार लोग अपने जान-पहचान और चिर परिचितों को बुलाकर येवै की दावत का आयोजन करते हैं।

मीट मार्केट में सबकुछ बिक रहा 

चीन के मीट मार्केट में सबकुछ बिकता है। आप जो चीजें सोच भी नहीं सकते वो चीन के मीट मार्केट में आपको खाने के लिए वहां के बाजारों में सजे हुए मिल जाएंगे। इसके अलावा यहां कुछ बाजारों में चूहे, बिल्लियां, सांप समेत कुछ दुर्लभ चिड़ियों की प्रजातियां भी बिकती हैं। यहां के रेस्त्रा में मिलने वाले कई सूपों में बाघ और अन्य जीवों के शरीर के अंग भी शामिल होते हैं। कुछ लोग रेस्त्रा में मिलने वाली इन डिशों को देखने के बाद उसे अपने घर में भी बनाते हैं और फिर जान पहचान वालों को येवै की दावत देते हैं। चीन का खूबे बाजार जंगली जीवों जैसे सांप, रैकून और साही के अवैध व्यापार के लिए चर्चित था। इन जानवरों को पिंजड़े में रखा जाता था और इनका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों और दवाइयों के रूप में किया जाता था।

दवाओं में भी किया जाता इस्तेमाल 

जानवरों के अंगों से चीन में कई पारंपरिक दवाएं भी बनाई जाती हैं। जानवरों के अंगों में कई बीमारियां जैसे कि पुरुष नपुंसकता, आर्थराइटिस और गठिया जैसे रोगों को दूर करने की क्षमता होती है इस वजह से वो इनका इस्तेमाल करते हुए वो दवाएं बनाते हैं।

 

कई जानवरों के विलुप्त होने का खतरा 

चीन में पेंगोलिन जानवर के कवच की मांग ज्यादा होने की वजह ये लगभग विलुप्त हो चुका है। अब दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी ये सबसे ज्यादा शिकार किया जाने वाला जानवर बन चुका है। बताया जाता है कि चीनी दवाओं में गैंडे के सींग का अत्यधिक इस्तेमाल होता है। इस चलन की वजह से गैंडा भी एक संकटग्रस्त जानवर बन चुका है। चीन में ये सब तब हो रहा है जबकि लोगों को पता है कि 70 फीसदी नए वायरस जानवरों, विशेषत: जंगली जानवरों से आ रहे हैं।

कोरोना वायरस से फिर जंगली जानवरों का धंधा आया सामने 

कोरोना वायरस ने एक बार फिर चीन में जंगली जानवरों के धड़ल्ले से चल रहे व्यापार को सबके सामने ला दिया है। वन्यजीव संरक्षण संस्थाए इसकी लगातार आलोचना करती हैं। क्योंकि इस व्यापार के चलते जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। कोरोना वायरस फैलने के बाद चीनी सरकार ने वन्य जीवों के व्यापार पर फौरी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि इस वायरस को फैलने से रोका जा सके। वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस कोशिश में है कि इस मौके का इस्तेमाल इस व्यापार को पूरी तरह से रोकने में किया जाए।

चीन ने लगाया प्रतिबंध 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इस वायरस के प्राथमिक स्रोत चमगादड़ हो सकते हैं। चीन में कुछ जानवरों को उनके स्वाद की वजह से खाया जाता है। वहीं, कुछ जानवरों का इस्तेमाल पारंपरिक दवाओं में किया जाता है। चीन के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे रेस्त्रां हैं जहां पर बैट सूप यानी चमगादड़ का सूप परोसा जाता है। इन सूप के कटोरों में आपको एक साबुत चमगादड़ मिलता है, साल 2016 में एक ऐसा वीडियो भी सामने आया था जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था।

अवैध व्यापार को रोकने में मिलेगी मदद 

कोरोना वायरस के संक्रमण से वन्यजीवों के अवैध व्यापार रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों को रोकने में कामयाबी मिलेगी। विशेषज्ञों की मानें तो ये बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है और ऐसा होना लगभग असंभव जान पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ खतरनाक वायरस सार्स और मर्स भी चमगादड़ों से आए थे लेकिन वे भी इंसानों में आने से पहले सिवेट कैट और ऊंटों से होकर आए।

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