बीजिंग : चीन का रवैया भी समझ से परे है. चीन एक ओर नरेंद्र मोदी के रूस में दिए बयान का स्वागत कर रहा है, लेकिन वह एनएसजी (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) की सदस्य्ता के मामले में भारत का समर्थन नहीं कर रहा है . बता दें कि मोदी ने गत दिनों सेंट पीटर्सबर्ग में कहा था कि भारत-चीन सीमा पर पिछले 40 साल में तनाव होने के बावजूद एक भी गोली नहीं चली है.

गौरतलब है कि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग के अनुसार चीन ने मोदी के बयान को सकारात्मक तौर पर लेकर इसका स्वागत किया है . बता दें कि दोनों देशों के नेता सीमा विवाद से जुड़े सवालों को न केवल अहमियत देते हैं, बल्कि इस मसले पर अपने विचार भी शेयर करते हैं. वहीं दोनों पक्ष इस बात पर रजामंद हैं कि यह मुद्दा दोनों देशों के हितों से जुड़ा है. इसका एक रणनीतिक पक्ष भी है, जिसे दोनों देश हल करने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों पक्षों के बीच अब तक हुई 19 दौर की बातचीत हो चुकी है.
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जबकि दूसरी ओर चीन के विदेश मामलों के सहायक मंत्री लि हुलाई ने सोमवार को मीडिया से कहा कि बदले हालात में एनएसजी सदस्यता के लिए नई दिल्ली के दावे का समर्थन करना ज्यादा मुश्किल हो गया है. अब यह नए हालात में नए सिरे से विचार किए जाने वाला विषय बन चुका है. यह पहले से कहीं ज्यादा जटिल भी हो चुका है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि वे किन हालात और किस तरह की मुश्किलों का जिक्र कर रहे हैं. लि हुलाई ने कहा कि नए देशों को एनएसजी की सदस्यता के मामले में चीन ऐसी चर्चा का समर्थन करता है, जो किसी से भेदभाव न करती हो, साथ ही यह एनएसजी के सभी सदस्यों पर लागू हो. वहीं भारत गत एक वर्ष से एनएसजी की सदस्यता के लिए प्रयत्नशील है.तुर्की का भी समर्थन मिल गया है, लेकिन न्यूजीलैंड ने ठोस भरोसा नहीं दिया है.
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