चीन के एक कदम से अमेरिका के साथ जारी तनावपूर्ण संबंध और गहरा हो गया है। चीन ने अमेरिकी सामानों पर लगने वाले टैरिफ को बढ़ा दिया है। चीन अविश्वसनीय विदेशी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी में है।

विश्लेषकों का कहना है कि इसके पीछे उसका मकसद हुवेई पर बैन लगाने वाले अमेरिका को और विदेशी फर्मों को दंडित करना है।बीजिंग के इस कदम से 60 बिलियन डॉलर की कीमत वाले अमेरिकी सामानों पर असर होगा। 1 जून से लागू हो रहे नए टैरिफ के अनुसार, अमेरिका से आयात होने वाले 5410 उत्पादों पर 5-25 फीसद का टैरिफ शुल्क वसूल किया जाएगा।जिन सामानों पर 25 फीसद का टैरिफ लिया जाएगा उनमें परफ्यूम, आई मेकअप व लिपस्टिक जैसे ब्यूटी प्रॉडक्ट्स के अलावा ओवन, माइक्रोवेव ओवन व कॉफी मशीन जैसे किचनवेयर टेनिस टेबल बॉल्स, बैडमिंटन रैकेट्स व फुटबॉल जैसे स्पोर्ट्स इक्विपमेंट, पियानो व स्ट्रिंग इंस्ट्रूमेंट्स, जिन, वाइन व टकीला जैसे लिक्वर, कंडोम, डायमंड्स, इंडस्ट्रियल रोबोट्स, टायर्स, फैब्रिक, लकड़ी और खिलौने शामिल हैं।
वाशिंगटन और बीजिंग के बीच ट्रेड वार्ता बिना किसी डील के खत्म होने के बाद पिछले माह फिर से दोनों देशों के बीच ट्रेड का जंग शुरू हो गया। इसके साथ ही अमेरिका ने चीन पर पुराने प्रतिबद्धताओं से मुकरने का आरोप लगाया।चीन के वित्त मंत्रालय ने कहा यह उन कंपनियों की अपनी लिस्ट जारी करेगा जिन्होंने अपने कॉमर्शियल कंट्रैक्ट तोड़ चीनी फर्मों को सप्लाई बंद कर दिए। इसका प्रभाव अमेरिका से आयात होने वाले कंडोम्स परफ्यूम्स, वाइन और पियानो जैसे उत्पादों पर भी पड़ेगा। कुछ समय पहले अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले रेयर अर्थ मैटेरेयिल्स पर प्रतिबंध लगाने का संकेत दिया था। इसके बाद चीन ने प्रतिक्रिया में 4.19 लाख करोड़ रुपये के अमेरिकी उत्पादों पर 1 जून से टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की है। रेयर अर्थ मैटेरेयिल्स का उपयोग अमेरिकी तकनीकी कंपनियों में उत्पादों के निर्माण में होता है। कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी कंपनी हुवेई को प्रतिबंधित कर दिया था।
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